पेयजल के लिए 55 लाख खर्चा लेकिन खवासावासियो को नहीं मिला पानी

May

झाबुआ लाइव के लिए खवासा से अर्पित चोपड़ा की रिपोर्ट-

IMG-20160115-WA0009 जनसहयोग और शासन निधि की खवासा की बहुप्रतीक्षित ढोलखरा जलप्रदाय योजना दो साल बीतने के बाद भी अधूरी पड़ी है । 55 लाख की लागत की इस योजना से लोगों को अभी तक कोई भी फायदा नहीं मिल पाया है । 55 लाख खर्च होने के बाद भी इस योजना से लोगों की समस्या हल होगी या नहीं यह एक बड़ा सवाल है ।

पानी लेने की मंजूरी ही नहीं
जिस ढोलखरा डेम से खवासा में पेयजल लाने के लिए उक्त पाइप लाइन डाली जा रही है वहाँ से पानी लेने के लिए जल संसाधन विभाग से मंजूरी लेना जरुरी है किन्तु ना तो पंचायत और ना ही पीएचई विभाग को इसकी मंजूरी मिली है । बिना जल संसाधन विभाग की मंजूरी के पीएचई ने इस योजना को कैसे स्वीकृति दे दी यह भी विचारणीय है । जल संसाधन विभाग की भी दोहरी निति है कि जो किसान डेम से पाइप लाइन डालकर डेम के कमांड एरिया से बाहर पानी ला रहे उन पर विभाग कोई रोक क्यों नहीं लगा रहा है, और यदि उन्हें मंजूरी दी गई है तो किस आधार पर दी गई है ? क्योंकि डेम के कमांड एरिये के कई गांवों को ही पर्याप्त पानी ही नहीं मिल पा रहा है ।
पीएचई ने ढोलखरा से खवासा तक जो लाइन डाली थी उसके साथ एक अन्य व्यक्ति ने भी अपनी निजी लाइन डाल ली थी । इस शासकीय लाइन के साथ निजी पाइप लाइन डालने की मंजूरी किस आधार पर दी गई यह भी जांच का विषय है ।

181 पर हुई शिकायत
पीएचई की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट ग्राम के सरपंच रमेश बारिया को भी मुख्यमंत्री ऑनलाइन 181 पर इसकी शिकायत करनी पड़ी । शिकायत के जवाब में भी उन्हें उक्त योजना के 95 प्रतिशत तक कार्य पूर्ण होने की जानकारी दे दी गई । सरपंच श्री बारिया का कहना है कि मौके पर इतना कार्य हुआ ही नहीं है । श्री बारिया के अनुसार ढोलखरा डेम पर जिस स्थान पर पीएचई द्वारा कुआ खोदा गया है वहां कुछ फ़ीट खुदाई पर ही काली चट्टाने निकल आई है, ऐसे में वहां पानी कैसे आएगा ?

लगे मिट्टी के ढेर
पीएचई ने पाइप लाइन के लिए गांव की पक्की सीमेंट कांक्रीट की सड़को को खोदकर लाइन बिछाई है । यदि विभाग चाहता तो बाजना रोड, रोग्या देवी मंदिर होते हुए भी लाइन को जोड़ सकता था ऐसा करने से अच्छी सड़के सुरक्षित रह सकती थी । जो सड़के खोदी गई है उन्हें पुनः सीमेंट कांक्रीट से दुरस्त किया जाएगा या नहीं इसका जवाब देने वाला भी कोई नहीं है । रहवासी स्वयं इस मलबे को उठा रहे है । रहवासियों की मांग है कि विभाग उक्त सड़को को पुनः सीमेंट कांक्रीट से दुरस्त करे ।

जल संसाधन विभाग से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त ना होने के कारण कुआँ डेम के किनारे खोदा जा रहा है ।
– जगदीश गर्ग, पीएचई