पिताजी 15 दिन से वेंटिलेटर पर थे फिर भी पिता से दूर अपना फर्ज निभाता रहा यह डाक्टर ; नही कर पाया अंतिम दर्शन
विपुल पांचाल @ झाबुआ
देश मे कोरोना यानी कोविड -19 से जंग के दोर मे हमे देश मे फर्जी ओर असली दोनो तरह के कोरोना योद्धा देखने को मिल रहे है लेकिन आज हम आपको मिलवा रहे है रियल कोरोना योद्धा से जिसने उज्जैन मे अंतिम सांसे गिन रहे अपने पिता को अपनी मां ओर छोटे भाई के भरोसे रखकर झाबुआ जिला अस्पताल के आइशोलेशन वाड॔ (डेडीकेटेट कोविड केयर सेंटर) मे आपातकालीन ड्यूटी करते रहे ओर अंतत उनके पिता चल बसे लेकिन वह जीवित अवस्था मे पिता को नहीं देख पाये।
यह कहानी है आयुष मेडिकल आफिसर डा रितेश तिवारी का जो कि झाबुआ जिले के रायपुरिया के रहने वाले है तथा कोविड -19 के चलते वे शाशन को पेटलावद मे सेवा देने के लिए ज्वाइन हुऐ थे उसके बाद उन्हे झाबुआ स्थित डेडिकेटट कोविड केयर सेंटर बुलवा लिया गया था। डाक्टर रितेश के पिता राजेंद्र कुमार तिवारी की तबीयत विगत 25 दिन से बीमार थे ओर उन्हे उज्जैन इलाज के लिए ले जाया गया था। करीब 10 दिन के बाद राजेंद्र तिवारी की तबीयत बिगड़ी तो उन्हे उज्जैन मे ही वेंटिलेटर पर रखा गया। इसकी सुचना तुरंत झाबुआ मे ड्यूटी दे रहे बेटे डाक्टर रितेश तिवारी को दी गयी लेकिन डाक्टर तिवारी सिर्फ कुछ घंटो के लिए पिता की तबियत का हाल जानने के लिए जा पाये ओर फिर झाबुआ लोट आये। धीरे धीरे उनके पिता की तबियत बिगड़ती रही लेकिन डाक्टर रितेश तिवारी नही गये।उन्होंने अपने फर्ज को प्राथमिकता दी ।क्योकि पिता के पास छोटा भाई ओर मां थे .. गुरूवार को उन्हे सुचना मिली कि पिता की तबियत बहुत ज्यादा खराब है लेकिन तभी राणापुर मे कोविड – 19 के मरीज सामने आ गये तो डाक्टर तिवारी नही जा पाये।बीती रात फिर डाक्टर रितेश तिवारी को सुचना दी गयी कि पिता का बस अंतिम समय है । इस पर डाक्टर तिवारी छुट्टी लेकर रवाना हुऐ लेकिन उज्जैन पहुंचते उसके पहले ही पिता ने दम तोड दिया। यानी अपनी जिम्मेदारी निभाने के चलते डाक्टर तिवारी अपने पिता के जीवित अवस्था मे दर्शन नही कर सके। झाबुआ के डेडीकेटेट कोविड केयर सेंटर के इंचार्ज डाक्टर सावन सिंह चोहान ने बताया कि पिता की बीमारी ओर लास्ट स्टेज पर होने के बावजूद भी डाक्टर रितेश तिवारी अपनी पूरी ड्यूटी ईमानदारी से निभा रहे थे ।
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