पटवारियों की वर्षों से लंबित मांगों का निराकरण नहीं होने पर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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झाबुआ लाइव डेस्क-
जिला पटवारी संघ ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर आशीष सक्सेना को एक ज्ञापन सौंपा। शासन द्वारा पटवारियों की मांगों का निराकरण नहीं करने से मप्र पटवारी संघ ने रोष जताया। गौरतलब है कि माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ जबलपुर के आदेश एवं शासन के आश्वासन व घोषणा के बाद मप्र पटवारी संघ ने जनहित की समस्याओं के मद्देनजर विगत दिनों हड़ताल को वापस ले लिया था। हड़ताल समाप्ति के पश्चात आश्वासन एवं घोषणाओं का शासन द्वारा आदेश पारित नहीं किया। बार-बार मंत्री, प्रमुख सचिव, निज प्रमुख सचिव, मुख््यमंत्री को पटवारियों की लंबित मांगों को संज्ञान में लाते हुए भी निराकरण नहीं करने पर अब पटवारियों में हताशा का माहौल है। पटवारियों ने कलेक्टर को सौंपेे ज्ञापन में कहा कि वे मांगों के निराकरण को लेकर 1 जून से 15 जून तक भी आवेदन सौंपेंगे, तो वहीं 24 अप्रैल से 14 मई तक जिलों के तहसीलों में विधायकों, सांसद, मंत्री, जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपेंगे। साथ ही प्रदेश स्तरीय विशाल रैली 16 मई को भोपाल में आयोजित कर सीएम हाउस का घेराव किया जाएगा। इसी के साथ पटवारी अपनी मांगों को लेकर 18 मई से 31 मई तक काली पट्टी बांधकर एवं अतिरिक्त हल्कों का त्याग कर बस्ता सौंपेंगे तथा भू अभिलेखों के अलावा अन्य कार्यों का बहिष्कार करेंगे। वहीं 1 से 15 जून तक अवकाश पर उतरेंगे और मांगों का निराकरण नहीं होने पर चरणबद्ध आंदोलन के साथ मप्र पटवारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
यह है पटवारियों की मांगे-
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में पटवारियों ने मांग की कि वेतन पे ग्रेड वर्तमान में पटवारियों को 2100 पे-ग्रेड दिया जा रहा है, जबकि पटवारी अपने मूल विभाग के कार्यों के अलावा 21 अन्य विभागों के कार्यों का संपादन करते आ रहे हैं और कार्यों के मान से जो वेतन दिया जा रहा है वह बहुत कम है। वहीं पटवारियों के बहुआयामी कार्यों को देखते हुए राजस्व विभाग की संक्षेपिका में 15 अप्रैल 2015 को पटवारियों के वेतनमान में संशोधित कर 2100 के स्थान पर ग्रेड पे 2800 किए जाने के आदेश प्रदान करने की अपील की थी। वहीं पटवारियों की नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता हायर सेकंडरी से बढ़ाकर स्नातक स्तर कर दी गई। वहीं पूर्व के पटवारियों व वर्तमान के पटवारियों के कार्यों में तकनीकी विकास का क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। वर्तमान में पटवारियों द्वारा संपूर्ण राजस्व कार्यों को तकनीकी पद्धति एवं यंत्रों के प्रयोग से किया जाता है जिसमें पूर्व में सीमांकन कार्य पटवारी द्वारा जरीब से किया जाता था जबकि अब यह कार्य ईटीएस मशीन से किया जाता है। वहीं पटवारियों द्वारा पूर्व में खसरा बी-1 एवं नक्शा हस्तलिखित उपयोग किा जाता था। वर्तमान में पटवारियों द्वारा उक्त कार्य कंप्यूटर के माध्यम से वेब जीआईएस व एनआईसी सॉफ्टवेयर पर तकनीकी पद्धति से कार्यों का संपादन किया जा रहा रहा है तो पटवारियों द्वारा राजस्व तकनीकी कार्र्यों के अतिरिक्त अन्य विभागों के तकनीकी कार्य बीपीएल, सर्वे, निर्वाचन केंद्र का सत्यापन, पट्टा वितरण व अन्य कार्यों का संपादन भी तकनीकी सिस्टम से पटवारी कर रहे हैं। इसलिए पटवारियों को तकनीकी घोषित किया जाना जरूरी है नहीं तो पटवारी तकनीकी संबंधी समस्त कार्यों का बहिष्कार करेंगे। इसी के साथ पटवारियों के पदोन्नति के सीमित अवसर है और लगभग 95 फीसदी पटवारी पर से ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। वहीं पटवारियों ने मांग की कि पटवारियों के लिए डीपीसी के माध्यम से पदोन्नति लागू की जाए ताकि अपने सेवाकाल में कम से कम दो पदोन्नति पटवारियों को मिल सके। इसलिए राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने विधानसभा एवं सार्वजनिक मंच से डीपीसी सिस्टम से दो पदोन्नति की घोषणा भी की है।
महिला-पुरुष पटवारियों के अन्य जिलों में स्थानांतरण करने-
शासन की स्थानांतरण नीति के मुताबिक राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मंचों से घोषणा की थी कि महिला पटवारी व उनके ससुराल के जिले में स्वयं द्वारा चाहे गए स्थानांतरण किया जाए।
वेब जीआईएम सॉफ्टवेयर का सरलीकरण-
जीआईएम सॉफ्टवेयर विगत 2 वर्षों से अधिक समय से लागू होकर इसमें व्यवहारिक एवं तकनीकी समस्या है इसमें मप्र भू अभिलेख नियमावली के विधि विपरीत है। इसके लिए कई ज्ञापन दिए गए किंतु समस्या यथावत है।

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