नगर का बायपास लटक अधर में : कपिल शाह कंपनी ने अनुबंध खत्म करने का दिया आवेदन

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
क्या नगर को नही मिल पाएगी बायपास की सौगात, क्या नगर को बायपास के लिए फिर से करना पड़ेगा एक वर्ष से अधिक का इंतजार? फिर से यही प्रश्न खड़ा हो चुका है कि क्या नगर का बायपास पुन: अधर में लटक जाएगा? पूरा नगर जिस बायपास को लेकर अपनी निगाहे टिका कर बैठा की कब बायपास बने और नगर को रोजाना होने वाले हजारों भारी वाहनों के आवागमन से मुक्ति मिल जाए। अब तक मुआवजे व अन्य सरकारी व राजनैतिक अटकलों के चलते बायपास अटका हुआ था। मगर अब इस बायपास को बनाने वाले ठेकेदार द्वारा ही बायपास के इस लेटलतीफी कार्य को बाय-बाय कह दिया है। जी, हां बायपास निर्माण का अनुबंध करने वाली के मैसर्स कपिल शाह कंपनी ने अनुबंध खत्म करने हेतु कार्यपालन यंत्री को आवेदन कर दिया है। ठेकेदार ने अनुबंध खत्म करने हेतु दिए आवेदन में भूमि मुआवजे मेंं विलंब, बिजली की हेवी लाइन को न हटाने व जीएसटी के कारण बड़े हुए निर्माण सामग्री के मूल्य को कारण बताया व लोक निर्माण विभाग द्वारा आज तक बिजली की हैवी लाइन एवं बिजली के खंभे हटाने के लिए कोई एस्टीमेट नहीं बनाया है और उसके भुगतान का भी अलग से कोई प्रावधान नहीं है। उनका कहना है कि 8 माह पूर्व अनुबंध किया गया था परंतु मुआवजे व अन्य अटकलों की वजह कार्य अभी तक शुरु नही हो पाया है व अभी भी निकट भविष्य में कार्य शुरु होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हंै जिस कारण अनुबंध खत्म करने का आवेदन दिया गया है। गौरतलब है कि मुआवजे व भू स्वामियों से बात करने के लिए बीते महीनों में कई बैठके आयोजित की जा चुकी है, परन्तु उन बैठको में कोई निर्णय नहीं आ सका। बायपास पर बने पुल को भी बने एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है परन्तु रोड निर्माण शुरू न हो पाने के चलते उसकी भी सुध नहीं ली। नगर का बायपास बनने का स्वप्न कही स्वप्न ही बनकर न रह जाएगा। अगर अनुबंध रद्द कर पुन: प्रक्रिया में लिया जाएगा तो शायद इन प्रक्रियाओं में गुजरते हुए व चुनावी वर्ष होने के चलते बायपास कार्य एक से दो वर्ष आगे बढ़ सकता है। और समय बीतने के साथ बड़ते हुए भूमि दामों के चलते भू स्वामियों को भूमि छोडऩा और भी अधिक मुश्किल हो जाएगा और नगर का बायपास स्वप्न कभी पूरा नहीं हो पाएगा।

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