धारा 165 व 172 मसले पर विवाद के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट की सरकार की स्थिति

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चंद्रभानसिंह भदौरिया, चीफ एडिटर
कमलनाथ कैबिनेट द्वारा मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की दो धाराओं धारा 165 के कुछ उपबंधों एवं धारा 172 में बदलाव को लेकर कैबिनेट फैसले संबंधी खबरों को लेकर उठे भ्रम के बीच आज खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ऑफिशियल पेज सीएम मध्यप्रदेश पर आकर मामले में अपना स्पष्टीकरण दिया है। यह स्पष्टीकरण दोपहर में झाबुआ लाइव द्वारा किए गए इस मुद्दे के लाइव चेट शो में डॉ. आनंद राय के मुताबिक की है। डॉ. राय के पक्ष पर लगभग मुहर लगाते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि धारा 165 में कोई छेड़छाड नहीं की है हालांकि धारा 172 के डायवर्शन संबंधी नियमों के बदलाव को उन्होंने जनहित में लिया गया बदलाव बताते हुए स्वीकार किया है। साथ ही अपने अधिकृत बयान में मुख्यमंत्री ने विगत दो दिनों से हो रही चर्चाओं को अफवाह बताया है। इस खबर में मुख्यमंत्री के अधिकृत पेज का स्क्रीन शॉट लिया जा रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अनुसुचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति देने के संबंध में जो भ्रम और अफवाह फैलाई जा रही है वह सरकार गलत है। राज्य शासन ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश में आज भी आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्णत: प्रतिबंध है। वहीं आदिवासियों के सभी हितों का संरक्षण करने के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि मप्र सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति दे दी है। यह निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाई जा रही है जो न केवल असत्य है, बल्कि आधारहीन है। मध्यप्रदेश में आदिवासियों की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति नहीं है और न ही इस प्रावधान में कोई बदलाव किया गया है।
वहीं प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू राजस्व संहिता की धारा 165  के अनुसार किसी भी आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते। मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के समस्त हितों का संरक्षण करने के लिए कटिबद्ध है और ऐसा कोई कदम कभी नहीं उठाएगी जो प्रदेश के आदिवासियों के हित में न हो। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो सामान्य सा बदलाव किया है जिसको लेकर भ्रम और अफवाह फैलाई जा रही है वह सिर्फ इतना है कि अनुसूचित क्षेत्रों ेंमें गैर आदिवासी द्वारा गैर-आदिवासी जमीन खरीदने के बाद डायवर्शन के लिए जो समय सीमा थी, उसे समाप्त किया गया है।
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