दो वर्ष से बनने वाला रायपुरिया पंचायत भवन का निर्माण आखिर कब पूरा होगा?

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 सड़क से पीछे की और मुंह कर बनाई यह चार दुकान।
सड़क से पीछे की और मुंह कर बनाई यह चार दुकान।

झाबुआ लाइव के लिए रायपुरिया से लवेश स्वर्णकार की रिपोर्ट-
वर्ष 2013-14 में जीर्णशीर्ण पंचायत भवन को नवीन भवन बनाने के लिए पूर्व सरपंच राधाबाई भूरिया ने कार्यकाल में कागजी कार्रवाई शुरू की थी, उनका कार्यकाल समाप्त होने के कुछ दिन पहले ही रायपुरिया के पंचायत भवन के निर्माण के लिए पंच परमेश्वर, मनरेगा और 14वां वित्त आयोग (परफॉरमेंस ग्रांड) योजना के तहत करीब 15 लाख रुपए से ज्यादा की राशि स्वीकृत हुई थी। वर्ष 2014-15 में स्वीकृत हुआ पंचायत भवन का कार्य वर्तमान पंचायत सितंबर 16 तक भी पूर्ण नहीं कर पाई है। निर्माण कार्यो को पूरा कराने के लिए बतौर समय भी निर्धारित किया जाता है। ग्राम पंचायत ने इस पंचायत भवन के निर्माण में अभी तक जो निर्माण किया गया उसमे मुख्य मार्ग से पीछे की और मुंह करके चार दुकाने और आगे की ओर तलघर बनाकर कार्य को बंद कर दिया गया है जबकि अभी पंचायत भवन को लेकर उसके एक भी कक्षों का कोई निर्माण अभी यहा नहीं हो पाया है, यहां दुकानों के निर्माण के लिए राशि किस मद से खर्च की गई स्टीमेट में दुकाने है या नहीं, जब इस बारे में सचिव से पूछा गया तो पहले तो राशि नहीं मिलने की बात कही और बाद में उनसे इस विषय पर कोई उचित जवाब नहीं मिल पाया। हालांकि दुकानों के निर्माण के लिए राशि किस मद से खर्च हुई स्टीमेट में क्या है, पंचायत के हस्तक्षेप का मामला है, परंतु वर्ष 2014-15 में स्वीकृत हुआ भवन दो वर्ष बीतने तक भी पूर्ण नहीं हो पाया से जांच का विषय है। इस बारे में पंचायत इंस्पेक्टर ने बताया कि जनपद स्तर से कोई कमी नहीं है। रायपुरिया का ग्राम पंचायत भवन का कार्य क्यों नहीं हो पा रहा है, यह तो पंचायत ही जाने।
दुकाने-तलघर बनाने के बाद काम बंद
जीर्णशीर्ण पंचायत को जमीनदोज कर ग्राम पंचायत ने पंचायत भवन का कार्य शुरू तो किया परंतु शुरुआत से ही धीमी गति से चले इस कार्य में सड़क से पीछे की ओर मुंहकर व आगे की ओर तलघर बनाने के बाद से यहा कार्य बंद पड़ा है। पंचायत भवन का कार्य क्यों बंद है, और कब पूरा होगा इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब देने को तैयार भी नहीं है।
दो गुमटीधारक हुए परेशान:
ग्राम पंचायत के पुराने जीर्णर्शीण भवन के आगे की और दो गुमटीधारकों की गुमटियां हुआ करती थी यह दोनों पिछले कई वर्षो से यहां रखी गुमटियों से अपनी आजीविका चला रहे थे जीर्णशीर्ण पंचायत भवन को जमीनदोज करने के पहले दोनों गुमटीधारकों को यहा से दुकाने उठाने के मौखिक निर्देश पंचायत ने दिए। इसके बाद पंचायत ने आश्वासन दिया था दोनों को जहा भी पंचायत निर्णय लेगी लागत कीमत लेकर दुकाने दी जाएगी। इस आश्वासन से दोनों गुमटीधारकों ने अपनी गुमटियां यहां से हटा ली थी अब यह दोनों करीब एक वर्ष बीतने के बाद भी बाजार मे 3 से 4 हजार रुपए प्रतिमाह देकर किराए पर दुकान चलाने को विवश है। पंचायत भवन का कार्य धीमा और बंद हो जाने से किसी को कोई फर्क पडटा हो या नहीं परतु दोनों गुमटीधारकों को जरूर फर्क पड़ा है।

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