टीएसपी की निगरानी के लिए नोडल मंत्रालय बनाए जान के मामले अभी तक क्यों लटकाए?

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झाबुआ। गुरुवार को नईदिल्ली में आयोजित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता की स्थाई समिति की बैठक में जनजातीय उप योजना (टीएसपी) कार्यकरण का मूल्यांकन विषय पर सांसद कांतिलाल भूरिया मौजूद थे। इस दौरान सांसद भूरिया ने बताया कि जाधव समिति की रिपोर्ट पर विचार के बाद केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के लिए 2014 में संशोधित दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसमें प्रतिबंध लगा दिया गया है कि जनजातीय उप योजना के तहत निधियां अन्यत्र उपयोग योग्य नहीं है तथा अलग से शीर्ष के अंतर्गत दशाई जाएगी। कुल राज्य जोना के संबंध में राज्यों में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में टीएसपी निधियां चिन्हित की जानी है। टीएसपी में साक्षरता, स्वास्थ्य, आजीविका में मामूली सुधार है तथा अनुसूचित जनजातियों के बीच मानव विकास सूचकांकों में अब भी अंतर है। सांसद कांतिलाल भूरिया ने कहा कि योजना आयोग को जब से नीति आयोग बनाया गया है, उसके बाद ही इस प्रकार संशोधन किए जाने से टीएसपी को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सकेगा और नीति आयोग की गतिविधियों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा, जिससे निश्चित रूप से अनुसूचित जनजातियों और अन्य सामाजिक समूहों को कल्याणकारी योजनाओं से कोई विशेष लाभ प्राप्त नहीं होगा। सांसद भूरिया ने टीएसपी निधियों हेतु अव्यपगत पूल के लिए कोई प्रावधान नहीं होने एवं केंद्रीय स्तर पर असंतोषजनक निगरानी पर अपनी चिंता से स्थाई समिति को अवगत कराया तथा टीएसपी की निगरानी के लिए नोडल मंत्रालय बनाए जाने के मामले को अभी तक लटकाए रखने के औचित्य पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।

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