टमाटर को लेकर क्षेत्र के किसान हुए लाल- पाक विदेश मंत्री के बयान के बाद फूंका पुतला

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टमाटर की आवक प्रारंभ हुई.
खेतों में टमाटर के पौधे ब्लाइड वायरस के चलते सूखने लगे है.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
पेटलावद क्षेत्र का टमाटर पाकिस्तान तक प्रसिद्ध है। इस बार पाकिस्तान ने भारत से टमाटर मंगवाने से इनकार कर दिया,जबकि पिछले वर्ष ही क्षेत्र के किसानों ने पाकिस्तान टमाटर भेजने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान टमाटर जाने से क्षेत्र के किसानों को भाव अच्छा मिलता था किंतु उनकी देश भक्ति ने उन्हें ऐसे पैसे कमाने की मंजूरी नहीं दी और उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक से ट्वीटर के माध्यम से कहा था कि हम अपना टमाटर पाकिस्तान नहीं भेजेंगे। गौरतलब है कि इस समय पाकिस्तान में टमाटर की मारा मारी चल रही है वहां 1 किलो टमाटर का भाव 160 रूपए किलो चल रहा है। वहीं किसानों ने सरकार से मांग की है कि हमारे फसल को पाकिस्तान नहीं भेजा जाए किंतु खाड़ी देशों में भी टमाटर की बहुत मांग है। टमाटर के लिए खाड़ी देशों में बाजार तलाशा जाए ताकि किसानों को नुकसान नहीं हो किंतु शासन प्रशासन में इस दिशा में आज तक कोई कदम नहीं उठाया और किसानों को लाखों का नुकसान पिछले वर्ष झेलना पड़ा। क्षेत्र के हजारों किसानों ने लाखों रूपए का नुकसान वहन किया। गुस्साएं किसानों ने क्विंटलों टमाटर मुख्य मार्गो पर फेंक कर अपना विरोध भी प्रदर्शन किया था।
टमाटर ने कभी हंसाया तो कभी रूलाया-
टमाटर की खेती क्षेत्र में पिछले 20 वर्षों से अधिक मात्रा में की जा रही है। क्षेत्र के ग्राम रायपुरिया, सारंगी, बरवेट, रूपगढ़, बावड़ी, कोदली, जामली, रामनगर, रामगढ़ सहित थांदला तहसील के खवासा आदि स्थानों पर की जाती थी। शुरूआत में 1000 हेक्टयर से प्रारंभ हुई टमाटर की खेती एक दशक पूर्व तक लगभग 6000 हेक्टयर तक पहुंची थी और जिसमें क्षेत्र में कपास और सोयाबीन की फसल को मात भी दी थी। शुरूआत में टमाटर की फसल में किसानों को अच्छा लाभ हुआ किंतु लगातार एक ही खेत में टमाटर की फसल बोने से गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ा और धीरे धीरे टमाटर के भावों में गिरावट आने लगी। टमाटर की खेती में किसानों को खर्चा अधिक होता है और इस हिसाब से जब तक पैसा नहीं मिलता है तब तक मुनाफा नहीं हो सकता है। इसके लिए धीरे धीरे किसानों का इस फसल से मोह भंग होता जा रहा है। पिछले वर्ष भी लगभग 3000 हेक्टयर में टमाटर की फसल बोई गई थी जिसमें क्षेत्र के सभी किसानों को नुकसान हुआ जिसके चलते इस वर्ष मात्र 1500 हेक्टयर में टमाटर की खेती सिमट गई है।
पाकिस्तान नहीं लेता तो हमें भेजना भी नहीं-
पाकिस्तान द्वारा टमाटर नहीं लेने की बात पर किसानों में आक्रोश है किसानों का कहना है कि हमें पाकिस्तान अपनी उपज भेजना भी नहीं है। हम कोई पाकिस्तान के रहमों करम पर फसल नहीं उगाते है। हम हमारी फसल को अन्य जगह भी बेच सकते है। इसके लिए केवल सरकार की इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। पेटलावद क्षेत्र के टमाटरों की मांग केवल पाकिस्तान में ही नहीं अन्य खाड़ी देशों में भी है। केवल सरकार प्रयास कर वहां बाजार देखे और किसानों के माल को वहां तक पहुंचाने की व्यवस्था करे, जिससे किसानों को भी नुकसान नहीं होगा और पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा होगा।
भावों के उतार चढ़ाव में किसानों को नुकसान.
टमाटर की खेती में किसानों को भावों के उतार चढ़ाव के चक्कर में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि जब उत्पादन अधिक होता है तब भाव 50 पैसे किलो भी नहीं रहते है और जब उत्पादन कम हो जाता है तब टमाटर के भाव भी आसमान चढ़ जाते है जिस कारण से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, जब उनके पास माल होता है तब भाव नहीं होता है। इसके लिए किसानों ने सरकार से मांग की है कि टमाटर का समर्थन मूल्य तय किया जाए जिससे किसानों को नुकसान तो नहीं उठाना पड़े। इसके साथ ही क्षेेत्र में टमाटर आधारित उद्योगों की स्थापना की जाए और कोल्ड स्टोरेज रूम में बनवाए जाए ताकि किसानों की फसल कम भाव होने पर सुरक्षित रह सके।
बीमारियों का प्रकोप-
टमाटर की फसल में हर बार कोई न कोई बीमारी का प्रकोप आता है। सर्वाधिक रूप से टमाटर में ब्लाइड नामक बीमारी का प्रकोप आता है जो कि टमाटर की फसल को सुखाने का काम करता है। इस बार भी टमाटर की फसल में ब्लाईड नामक बीमारी का प्रकोप है जिसके चलते क्षेत्र में 50 से 60 प्रतिशत टमाटर की फसल प्रभावित हुई है टमाटर की फसल सुखने लगी है तथा उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। इस समय टमाटर की आवक प्रारंभ हो चुकी है। पिछले वर्ष टमाटर का भरपूर उत्पादन हुआ था तो प्रति केरेट का भाव 50 रूपए से 100 रूपए तक रहा था, जो कि टमाटर दिल्ली भेजन तक का भाड़ा और उत्पादन का खर्च ही हो गया था। आखिर किसानों ने फिर टमाटर को सडक़ों पर फेकना और मवेशियों को खिलाना उचित समझा। इस बार टमाटर का उत्पादन कम है और भाव अभी अच्छे मिल रहे है।
10 लाख का नुकसान उठाया-
कृषक प्रदीप परमार ने पिछले बार 40 बीघा में टमाटर बोए थे उन्हें 10 लाख रूपए का नुकसान हुआ था। इस बार फिर उन्होंने 25 बीघा में टमाटर बोए है तथा बीमारियों का प्रकोप और पाकिस्तान द्वारा टमाटर नहीं लिए जाने पर वे भयभीत है। उनका कहना है कि सरकार को किसानों की सहायता करना चाहिए तथा टमाटरों की सरकारी खरीदी करवा कर किसानों को नुकसान से उबारना होगा।
डॉ. नाथूलाल पाटीदार रायपुरिया का कहना है कि हमने सरकार को दो वर्ष पूर्व ही पाकिस्तान के बाजार का विकल्प खोजने को कहा है किंतु सरकार कोई विकल्प नहीं ढूढ पाई है। टमाटर की खेती को बढ़ावा देना है तो सरकार को किसानों के हित में कोई बड़ा कदम उठाना होगा।
किसान रामेश्वर मश्का का कहना है कि पिछली बार भाव नहीं मिले। इस बार हम वायरस के कारण परेशान है वहीं अब पाकिस्तान बाजार बंद है। किसानों पर चौतरफा मार पड़ रही है। आखिर किसान करे तो क्या करे। हर बार नुकसान होने पर किसान कर्ज के मकड़ जाल में फंसता जा रहा है.
किसानों ने एकत्रित होकर पाकिस्तान मंत्री का पुतला दहन कर, मुर्दाबाद के नारे लगाए और पुतला जलाया। किसानों का कहना है कि हम टमाटर पाकिस्तान के भरोसे थोड़े ही लगा रहे है। हम खेती में नुकसान उठा सकते है पर पाकिस्तान को हम टमाटर नहीं भेजना चाहते है। गौरतलब है कि पाकिस्तान मंत्री ने दो दिन पूर्व पाकिस्तानी चैनल पर बयान दिया था कि हम भारत से टमाटर नहीं खरीदेंगे जिस पर आक्रोशित किसानों ने मंत्री का पुतला फुंका और उन्हें जवाब भी दिया की हम पाकिस्तान को अपना टमाटर नहीं भेजेंगे। इसके लिए हमारे द्वारा एक वर्ष पहले ही प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को ट्वीट के माध्यम से कहा था।
पाकिस्तानी सामान का भी हो बहिष्कार-
वहीं किसानों ने भारत सरकार से मांग की है कि भारत में पाकिस्तानी सामान पर भी रोक लगाई जाए। जिस प्रकार पाकिस्तान हमारी सामग्री पर रोक लगा रहा है उसी प्रकार हमारी सरकार को भी पाकिस्तानी सामग्री पर रोक लगाना चाहिए। वही लक्ष्मीनारायण पाटीदार, शंभुलाल पाटीदार,बसंतीलाल पाटीदार जामली, योगेश पाटीदार,अमृतलाल पाटीदार, रामेश्वर चौधरी, धर्मराज पाटीदार, डॉ नाथूलाल पाटीदार आदि ने मिलकर पुतला जलाया।

 

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