झाड फुक के चक्कर मे गई दौ जान
झाबुआ live के लिए जितेन्द राठौरऔर प्रदीपसिह तारखेडी कि रिपोर्ट
पुरे श्रैत्र मे पिछले एक वर्ष से मजदुरी का अभाव है .और आदिवासी अंचल के रोग रोजमर्रा कि मजदुरी पर ही निर्भर है.और पिछले एक वर्ष से रोजगार गांरटी योजना भी बंद है मजबुरी वंश दौ वक्त कि रोटी कि तलाश मे वनांचल के लोग मजदुरी कि तलाश मे गुजरात का रूख करते है .और बिमारियो का शिकार होकर मौत को गले लगा रहै है .——-
मोकमपुरा मे गुजरात मजदुरी करने गये परिवार कि ननद और भाभी कि मौत
दौ वक्त कि रोटी कि तलाश मे गुजरात मजदुरी करने गए मोकमपुरा के मोरी परिवार के लिए काल बनकर आया. गुजरात के सुरत मे करीब एक महिने पहले मजदुरी करने गया था.पंरतु विगत् चार जुलाई को शीला पिता शंभु मोरी और इसकी भाभी ननु पति जंसवत मोरी को उल्टी दस्त होने लगी.तो परिजन गुजरात से पेटलावद स्वास्थ केन्द पर ले गये उपचार कराने के बाद घर लेकर आ गये जहां अगले दिन शीला पिता शंभु मोरी कि मौत हो गई.अगले एक और बिमार ननु पति जंसवत मोरी को झांड फुक के लिए गांव मे ले गये.अगले दिन झाड फुक के लिए देवझिरी ले गये लेकिन कोई फर्क नही पडा.तो सामुदायिक स्वास्थ केन्द सरदारपुर ले जाया गया .जहां गंभीर अव्स्था को देखते हुए धार रेफर किया पंरतु ननु पति जंसवत उम् ३० वर्ष ने रास्ते मे ही दम तोड दिया.
क्या कहते है जिम्मेदार
कोई भी बिमार मरीज हमारे पास नही आया तो हमे कैसे पता चले फिर भी हमने पंचनामा बनाया है और देख रहै है मत्यु कैसे हुई
एम.एल.चौपडा मेडिकल आंफिसर