जावरा श्रीसंघ का झाबुआ में आगमन

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7झाबुआ – परम् पूज्य राष्ट्रसंत जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी मसा की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी पुण्य दर्शना श्रीजी मसा आदि ठाणा-3 के चल रहे चार्तुमास में उनके दर्शनाथ जावरा नगर के श्रीसंघ के 100 से अधिक सदस्यों का शहर मे आगमन हुआ। स्थानीय राजवाड़ा चोक से ढ़ोल-धमाका के साथ संघ के यात्रियो ने बावन जिनालय पहुंचकर भगवान के दर्षन एवं ज्ञान मंदिर में विराजित साध्वीश्री को वंदन कर उनकी सुख-साता पूछी। पोषधशाला भवन में धर्मसभा का आयोजन हुआ। संबोधित करते हुए पूज्य साध्वीश्री मसा ने कहा कि मनुष्य जन्म को पाना बहुत ही दुलर्भ है। जीव अपने पूर्व जन्म में किए गए अकुट पुण्य बल से ही मनुष्य योनी को प्राप्त करता है। अतः हमे मनुष्य जन्म की महत्ता को समझते हुए पुण्य का अर्जन कर धार्मिक कार्यों में सदैव रत रहना चाहिए तथा राग-द्वेष, हिंसा, अहंकार, मान, ईष्या आदि दुर्गुण से दूर रहना चाहिए। आपने एक किसान का दृष्टांत बताते हुए कहा कि जिस तरह किसान को हीरे आदि रत्नों की परख नहीं होने के कारण उसने पत्थर समझकर सभी बहुमूल्य रत्न को अपने खेत के पशु-पक्षियो को उड़ाने के लिए फेंक दिए थे। इसी तरह हम भी रत्नों से भी बहुमूल्य इस मानव जीवन को व्यर्थ ही गवां रहे है। मनुष्य जीवन को सार्थक एवं सफल बनाने के लिए जिनेष्वर भगवान एवं गुरू भगवंत द्वारा जो मार्ग बताया है, उस पर हम सभी को चलना चाहिए।

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