जान जोखिम में डाल टेम्पो के पीछे लटककर घर पहुंचने को मजबूर अंचल के स्कूली छात्र-छात्राएं

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की एक्सक्लूसिव पड़ताल-
इंदौर में स्कूल बस दुर्घटना के बाद भी प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में सजग नहीं हो पा रहा है। स्कूली बसों की दुर्दशा तो है ही सही साथ में शासकीय स्कूलों के बच्चे टेम्पो पर लटक कर जा रहे है जिसको देखने वाला कोई नहीं है। प्रतिदिन शाम को 4.30 बजे के बाद हर टेम्पो के पीछे स्कूली बच्चे लटके हुए नजर आते है जिसमें लडक़ों के साथ साथ लड़कियां भी होती है किंतु न तो इसकी चिंता उनके परिजनों को है न ही प्रशासन और जिम्मेदारों को है, जिस कारण से कई छोटी बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी है। नागरिकों की मांग है कि प्रशासन को स्कूल बसों के साथ एसे साधनों को भी देखना चाहिए जिनमें प्रतिदिन सैकड़ों बच्चें पीछे केरियर पर लटक कर सफर करते है। सोमवार शाम को जब थांदला रोड, करड़ावद रोड, बामनिया रोड और गांधी चौक रूपगढ़ रोड पर निगाह रखी तो पाया की हर टेंपो के पीछे बच्चे लटके हुए है। यह नजारा प्रतिदिन आम है। इस संबंध में जब बच्चों से चर्चा की गई तो उनका कहना है हम कम पैसें देते है इसलिए हमें इस प्रकार सफर करना पड़ता है। वहीं बच्चों को ले जाने वाले साधन जर्जर अवस्था में और फिटनेस में फैल है। यदि इसकी जांच की जाए तो पेटलावद की सडक़ों पर दौडऩे वाले अधिकांश वाहन बंद हो जाएंगे, किंतु जवाबदारों की निगाहों के सामने इस प्रकार का सफर करने को मजबूर है। केवल स्कूली बसों पर कार्रवाई करने से काम नहीं चलेगा, उन वाहनों पर भी ध्यान रखना होगा जिसमें सैकड़ों स्कूली छात्र छात्राएं सफर करते है।

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