जरुरत के वक्त इस्तेमाल कर लिया अब निकालने के संकेत ; भडके आयुष चिकित्सक एव स्टाफ विरोध पर उतरा

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विपुल पांचाल / जितेंद्र वाणी

कोविड -19 यानी कोरोना के मुश्किल काल-खंड मे सरकार ने डिस्पोजल आइटम की तरह आयुष के चिकित्सकों ; नर्सिंग स्टाफ ; पैरामेडिकल लैब तकनीशियन स्टाफ एंव वार्ड बाय का इस्तेमाल कर लिया ओर अब उन्हे बाहर निकालने के संकेत सरकार दे रही है। सरकार के अफसरों ने इस बार जो अनंबध पत्र भेजा है उसमें उनकी सेवाऐ तीन माह बढाने की बजाय एक माह बढाने का लिखा गया है जिससे अनुबंध पर अपनी सेवाएं दे रहे आयुष चिकित्सको एव स्टाफ को लग रहा है कि सरकार शायद उनकी सेवाऐ अब एक महीने से अधिक नहीं चाहती है। इससे नाराज यह आयुष चिकित्सक एव स्टाफ विरोध मे उतर आया है । झाबुआ मे आज काली पट्टी बांधकर आयुष चिकित्सक एव स्टाफ विरोध कर रहा है मगर आन ड्यूटी है ओर अलीराजपुर मे तीन दिन की हड़ताल पर आयुष चिकित्सक एव स्टाफ उतर आया है इनकी मांग है कि कोरोना अभी गया नही है ओर जब मुश्किल वक्त था तब उन्होंने अपनी जान खतरे मे डालकर काम किया ..परिवार तक की चिंता नही की ओर अब सरकार उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रही है ?

सरकार की बेरुखी से हैरानी

अलीराजपुर में विरोध।

अप्रैल 2020 से लेकर लगातार आयुष चिकित्सक एव स्टाफ कोरोना वारियस॔ के रूप मे लगातार काम कर रहे है ।सैंपल कलेक्शन से लेकर डेडिकेटड कोविड केयर सेंटर मे मरीजो की केयर कर रहे है नर्स भी जान जोखिम मे डालकर काम कर रही है।सरकार आयुष चिकित्सक को महज 25000 रुपये ओर नर्सिंग स्टाफ को 20000 रुपये ही दे रही है जो नाकाफी है ना उन्हे ₹ 50 लाख का बीमा कवर दिया गया ओर ना ही वादे के अनुसार प्रोत्साहन राशि भी नही दी गयी है ।

इस आयुष डाक्टर की कहानी से समझिऐ आयुष चिकित्सको के काम को

डॉ. दीपिका मोर्य

एडमिट डॉ. दीपिका मोर्य

झाबुआ के डेडिकेटड कोविड केयर सेंटर मे आयुष चिकित्सक डाक्टर दीपिका मोय॔ के काम के प्रति समप॔ण से आप इन सभी आयुष चिकित्सक एव स्टाफ की मेहनत को समझ सकते है ।डाक्टर दीपिका अलीराजपुर जिले के जोबट इलाके की रहने वाली है इंदोर के निजी अस्पताल की नोकरी छोडकर वे कोविड केयर सेंटर आ गयी ओर जब से झाबुआ के डेडिकेटड कोविड केयर सेंटर मे रहकर ही ड्यूटी कर रही है। इस दोरान वह दो बार काम करते करते बेहोश तक हो चुकी है एक बार कोरोना संक्रमण का शिकार भी वह हो चुकी है मगर नेगेटिव होने के कुछ दिनो बाद ही वह फिर से काम पर लोट आई।अब सोचिए उन्ही दीपिका से कहा जा रहा है कि बस एक महीना ओर ..फिर .. उसके बाद क्या ? कुल मिलाकर सरकार एक तरह से धोखा कर रही है उन लोगो से जो कोविड कालखंड मे खुद की जान जोखिम मे डालकर काम कर रहे थे ।

कोरोना मामले तेजी से बढ रहे फिर एक महीना ही क्यो ?

सवाल यह भी उठ रहा है कि जब झाबुआ ओर अलीराजपुर सहित पूरे प्रदेश मे कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ रहा है तो ऐसे मे तीन महीने के अनुबंध विस्तार को एक महीने मे बदलने का मतलब क्या है ? यही से आयुष चिकित्सक एव स्टाफ के मन मे आशंकाओ ने जन्म लिया जो प्रथम दृष्टया सही लगती है अब आयुष चिकित्सक एव स्टाफ विरोध कर कह रहा है कि वह अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा सकते है उनकी मांग है कि उनको कोरोना कालखंड मे काम करने दिया जाये ।

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