छत्तीसगढ सरकार से सीखें मध्यप्रदेश सरकार ; लगभग छीन ही लिया था कडकनाथ 

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[ झाबुआ Live के लिए ” मुकेश परमार” की EXCLUSIVE पड़ताल ]

कडकनाथ पर अधिकार को लेकर मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ आमने सामने आ गये थे लेकिन छत्तीसगढ सरकार ने यह कहते हुए अपने कदम खींच लिए कि वह कडकनाथ पर क्लेम नहीं कर रही लेकिन कडकनाथ के सरंक्षण ओर प्यूरिटी के लिए जीआई टैग हासिल करने जा रहे है क्योकि इसका उन्हे जीआई टैग आवेदन प्रकिया मे कई वैरीऐशन होने से हक है । दरअसल छत्तीसगढ सरकार ने दक्षिणी छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा इलाके मे झाबुआ जैसी भोगोलिक जलवायु के आधार पर महज 6 साल पहले कडकनाथ का व्यावसायिक उत्पादन विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के जरिए किया .. वहां की सरकार ने भरपूर आर्थिक सहायता दी नतीजा आलम यह है कि छत्तीसगढ के दंतेवाडा मे आज मध्यप्रदेश के झाबुआ – देवास से ज्यादा कडकनाथ उत्पादन हो रहा है ओर दक्षिण के राज्यों मे उन्हे बाजार भी मिल गया है यही वजह है कि अब वे कडकनाथ संरक्षण का जीआई टैग मांग रहे है दूसरी तरफ झाबुआ में एक दशक पहले स्वयं सहायता समूहों के जरिए शुरु हुआ कडकनाथ विकास अभियान अब ओपचारिकता भर है अधिकांश समूह या तो बंद हो चुके है या कागज पर चल रहे है अब कृषी विज्ञान केंद्र ओर राज्य पशुपालन विभाग की कडकनाथ हेचरी मे भी ज्यादातर कडकनाथ मुर्गे उपलब्ध है या चुजे उत्पादित हो रहे है केवीके के डा आई एस तोमर कहते है कि हमारे केंद्र से भरपूर कडकनाथ चुजे पैदा हो रहे है ओर इस समय हमारे यहाँ चुजे देने के लिए करीब 2 माह की वेटिंग है । फिर भी आवश्यकता इस बात की है कि सरकार स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय करें ओर व्यापक तोर पर इसे रोजगार से जोडा जाये । अभी प्रदेश का सहकारिता विभाग कडकनाथ चिकन पाल॔र खोलने की बात कर रहा है मगर सब कुछ कागज पर है अभी जमीन पर कब ओर कितनी संख्या मे यह पाल॔र आयेगे यह देखने वाली बात है ।
 

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