ग्रीन गोल्ड कालोनी के खिलाफ लगी जनहित याचिका खारिज ; हाईकोर्ट ने याचिका को दुर्भावनापूण॔ बताते हुऐ याचिका कर्ता पर ₹ 2 लाख की पैनल्टी ठोंकी

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मुकेश परमार@झाबुआ

झाबुआ के रतनपुरा स्थित निजी कालोनी ग्रीन गोल्ड के खिलाफ लगी एक जनहित याचिका को इंदोर हाईकोर्ट की दो जजों की बैंक ने खारिज करते हुऐ याचिका कर्ता पर मिथ्या दस्तावेज पेश कर हाईकोर्ट के साथ धोखा देने की बात कहते हुऐ याचिका कर्ता प्रवीण पडियार पर ₹ 2 लाख का जुर्माना भी अधिरोपित किया है यह जुर्माना याचिका कर्ता को आदेश जारी होने यानी 6 जनवरी से 90 दिन के भीतर एमपी स्टेट लीगल अथॉरिटी जबलपुर मे जमा करवाना होगा ओर अगर याचिका कर्ता ऐसा नही कर पाया तो कलेक्टर झाबुआ इस राशि की वसूली याचिका कर्ता से कर जबलपुर जमा करवायेंगे ।

जनहित याचिकाओ के लिए माइल स्टोन डिसिजन

जनहित याचिका क्रमांक 16516 /2019 पर फैसला देते हुऐ हाईकोर्ट इंदोर की दो जजों की बैंच ने जो फैसला दिया है वह मध्यप्रदेश मे लगने वाली जनहित याचिकाओ के लिए मिसाल भी बन गया है जज एस सी शर्मा ओर शैलेंद्र शुक्ला की दो सदस्यीय खंडपीठ ने फैसले मे जनहित याचिका लगाने वाले याचिका कर्ता प्रवीण पडियार पर यह कहते हुऐ ₹ 2 लाख का जुर्माना किया है कि याचिका कर्ता ने हाईकोर्ट मे छद्म दस्तावेज प्रस्तुत कर हाईकोट॔ को गुमराह करने की कोशिश की ओर कोर्ट के साथ धोखा किया है खुद जनहित याचिका लगाने वाले याचिका कर्ता प्रवीण पडियार की वकील गीतांजलि चौरसिया ने हाईकोर्ट से छद्म दस्तावेज प्रस्तुत करने पर यह कहते हुऐ माफी मांगी कि उसे यह दस्तावेज याचिका कर्ता ने उपलब्ध करवाये थे .. अब इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग लोगो को परेशान करने ओर कोट॔ का महत्वपूर्ण समय बर्बाद करने के लिए भी होता है इसलिऐ इस फैसले के बाद बेवजह जनहित याचिका लगाने वालो का मनोबल कमजोर होगा ।

इस मुद्दे पर लगी थी जनहित याचिका

याचिका कर्ता प्रवीण पडियार ने झाबुआ शहर के रतनपुरा मे बनी टाऊनशिप ग्रीन गोल्ड के शाशकीय चरनोई भूमि मे बनने ओर शाशकीय भूमि मे अवैध खनन का आरोप लगाते हुऐ याचिका लगाई थी जिसमे एमपी सरकार ; झाबुआ कलेक्टर सहित भू मालिक एंव डेवलपर को प्रतिवादी बनाया गया था लेकिन हाईकोट॔ ने सारे तथ्यों के परीक्षण के बाद पाया कि याचिका जनहित नही बल्कि याचिकाकर्ता के निजी हित ओर दुर्भावना वश लगाई गयी है जिसमे कुटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किये गये है ओर ग्रीन गोल्ड कालोनी शाशकीय चरनोई भूमि पर नहीं बल्कि निजी जमीन पर सारी वैधानिक अनुमतियाँ लेकर बनाई गयी है ओर कोई भी अवैध उत्खनन नही हुआ है ग्रीन गोल्ड कालोनी पूरी तरह से वैध ओर नियमों का पालन करते हुऐ बनी है ।

 

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