गुजरात महाराष्ट्र में फंसे आदिवासियों को लाने पर सियासत शुरू, विधायक भूरिया ने दिया सांकेतिक धरना

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अशोक बलसोरा, झाबुआ

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजस्थान कोटा से यूपी के छात्रों को क्या ले गए, एमपी में भी सियासत शुरू हो गई है। आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया झाबुआ कलेक्टोरेट परिसर के बगीचे में अपनी साथियों के साथ सांकेतिक धरने पर बैठ गए। धरने के बाद कलेक्टर प्रबल सिपाहा को कांतिलाल भूरिया ने ज्ञापन भी सौंपा जिसमें उन्होंने राज्यपाल से मांग की कि वे मुख्यमंत्री को निर्देशित करे कि महाराष्ट्र एवं गुजरात समेत देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे प्रदेश के मजदूरों को खासकर पश्चिमी मप्र के मजदूरों को बसे भेजकर सुरक्षित उनके गांव में वापस लाया जाए। ज्ञापन में भूरिया ने लिखा कि गुजरात व अन्य राज्यों में फंसे मजदूर एक माह से बेरोजगार हैं, उनके पास न पैसा है और ना ही खाने के इंतजाम और जो खाना मिल रहा है, वह नाकाफी है। भूरिया ने कहा कि 14 से 21 दिन का क्वॉरेंटाइन पीरियड भी एक तरह से उन श्रमिकों ने पूरा कर लिया है। इसलिए सरकार को तुरंत उन्हें लेकर आना चाहिए और सरकार जरूरी समझे तो उनका यहां लाने पर स्वास्थ्य परीक्षण कर वांछित लोगों को क्वॉरेंटाइन कर दें। गौरतलब है कि तीन दिन पहले भाजपा सांसद गुमानसिंह डामोर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि जो श्रमिक बाहर प्रांतों में फंसे हैं, उनके स्वास्थ्य व रक्षा के लिए उनको 3 मई तक वहीं रहने दिया जाए तथा उनके खाने-पीने के माकूल बंदोबस्त किए जाए। जाहिर सी बात है कि दोनों अलग-अलग मांगों के चलते अब मामले में राजनीति शुरू हो चुकी है।

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