झाबुआ लाइव के लिए रायपुरिया से लवेश स्वर्णकार।
क्षेत्र मे धुलेंडी के दिन लोगों ने ज्यादातर सूखे रंगों से होली का त्योहार मनाया। वही नगर मे युवकों और महिलाओं ने अपने अपने समूह में गैर निकाली। पाटीदार समाज की महिलाओं ने भी गैर निकाली। दोपहर 3 बजे बजे बाद ग्राम पंचायत काम्पलेक्स के पीछे हाट बाजार मैदान में आदिवासियों का परम्परागत गल चुल कार्यक्रम आयोजित हुआ। यहा परम्परागत कार्यक्रम को देखने के लिए आसपास के क्षेत्र से हजारों आदिवासी ग्रामीण एकत्रित हुए। दरअसल इस दिन आदिवासी समुदाय के लोग अपनी परम्पराओ के अनुसार मान मन्नतधारियों को गल के उपर रस्सियों के बीच उल्टा लेटा दिया करते है ओर मन्नतधारी को गल देवता के चक्कर लगवाए जाते है। यह परम्परा शाम ढलने तक चलती रही इसके साथ ही गल के निकट ही चूल याने जलते हुए अंगारों पर मन्नतधारियों ने नंगे पैर चलकर अपनी मन्नते पूरी की। क्षेत्र के आदिवासी लोगों का ऐसा मानना है कि ऐसा करने से उनकी मन्नते पूरी हो जाती है। इस दृश्य को देखने रायपुरिया व आसपास के क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों की भारी भीड रायपुरिया पहुंची ऐसे में धुलेंडी वाले दिन दोपहर बाद रायपुरिया मे हाट बाजार लगा जिसमे तरह तरह की दुकानों लगाई गई जहा लोगों ने खाने पीने की चीजों का जमकर लुप्त उठाया। भगोरिया मे लगे झुलों का भी ग्रामीणो ने आन्नद लिया।
ढोल मांदल ओर कुर्राटियां लगाते निकाली गेर-
इस गल चुल के कार्यक्रम के ठीक बाद आदिवासी भाईयो ने अपने अलग अलग समूहों में ढोल ओर मांदल की थाप पर नगर में गैर निकालते हुए होली का चंदा अपने अपने सेठ साहूकारों के यहां से लिया सेठ साहूकार ने भी अपने अपने परिचित आदिवासियं को होली के इनाम के रुप में चंदा दिया यह परम्परा परम्परागत है और रायपुरिया में वर्षो पूर्व से चलती आ रही है। ऐसे में आदिवासी अपनी परम्पराओं के निर्वहन में हजारों की संख्या में एकत्रित हुए परन्तु समय के बदलाव के साथ साथ इन परम्पराओ पर भी भारी प्रभाव पडता दिखाई दिया हे एक समय था जब धुलेंडी के दिन रायपुरिया मे 100 से 150 गैरो के समूह नगर मे गैर निकालते देखे जाते थे ओर ये क्रम आधी रात तक जारी रहता था परन्तु आधुनिकता के दौर मे गेरों की संख्या घटकर महज दस से पंद्रह ही रह गई और शाम 7 बजे के बाद गैर का एक भी समूह नजर नहीं आया जैसे जैसे समय बदलता जा रहा है। वैसे वैसे आदिवासियों मे भी बदलाव देखा जाने लगा हे।
पुलिस व प्रशासन रहा अलर्ट-
गल चुल के दोरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह से सतर्क रहा। थाना प्रभारी केएल डांगी अपनी पुलिस टीम के साथ अर्लट नजर आए रायपुरिया पुलिस की टीम थाना प्रभारी के निर्देशानुसार चप्पे चप्पे पर तैनात थी जिससे कही कोई अप्रिय घटना नहीं हुई गल चूल का कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा।
गल चुल मे पुर्ण हुई मन्नते
अलस्याखेडी । इसी प्रकार प्रतिवर्षानुसार ग्राम अलस्याखेड़ी मे भी गल चूल का कार्यकम हुआ जिसे देखने आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों आदिवासी इस दृश्य को देखने के लिए एकत्रित हुए गच चूल का कार्यक्रम भगलातोड़ी में रताम्बा रोड पर आयोजित होता है यहां पर भी मन्नतधारि अपने अपने समूह में आते है ओर गल पर उल्टा लटककर तो चूल के अंगारों पर नंगे पैर निकलकर अपनी मन्नते पूरी करते है यहां यदि छोटे बच्चे के लिए मन्नत ली जाती है तो उसे गोदी मे लेकर उसकी मन्नत पुरी करवाई जाती हे।