गडबडझाला: राजस्व अधिकारियों की  मिलीभगत के चलतेे,  22 लाख के मुआवजे से वंचित है अन्य हिस्सेदार

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हरीश राठौड़, पेटलावद

  नायब तहसीलदार द्वारा दूसरी बार माननीय राजस्व मंडल में चल रही  निगरानी के चलते अवैध तरीके से खातेदारो को सुने बिना बंटवारा कर माही परियोजना में डूब में जाने वाली भूमि का  22 लाख 84 हजार रुपए का मुआवजा दो ही खातेदार को दिलवाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस गड़बड़झाले में राजस्व विभाग की भूमिका संदेहास्पद लग रही है। डूब में पैतृक भूमि का सभी भाई बहिनो सहित माता का हिस्सा भी आया, लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आई तो अन्य भाईयों और बहिनो को छोडक़र एक भाई भूरालाल व माता केसरबाई को ही मुआवजा राशि में दिलाने में पटवारी, नायब तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों ने आपत्ति के बाद भी जो तत्परता दिखाई है उसकी उच्च स्तरीय जांच की गुहार मुआवजे से वंचित रहे भाई-बहनो ने मुख्यमंत्रीजी से लगाई है।  नायब तहसीलदार द्वारा दूसरी बार माननीय राजस्व मंडल में चल रही  निगरानी के चलते अवैध तरीके से खातेदारो को सुने बिना बंटवारा कर माही परियोजना में डूब में जाने वाली भूमि का  22 लाख 84 हजार रुपए का मुआवजा दो ही खातेदार को दिलवाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस गड़बड़झाले में राजस्व विभाग की भूमिका संदेहास्पद लग रही है। डूब में पैतृक भूमि का सभी भाई बहिनो सहित माता का हिस्सा भी आया, लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आई तो अन्य भाईयों और बहिनो को छोडक़र एक भाई भूरालाल व माता केसरबाई को ही मुआवजा राशि में दिलाने में पटवारी, नायब तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों ने आपत्ति के बाद भी जो तत्परता दिखाई है उसकी उच्च स्तरीय जांच की गुहार मुआवजे से वंचित रहे भाई-बहनो ने मुख्यमंत्रीजी से लगाई है। मामले की जानकारी देते हुए हीरालाल चौयल ने बताया कि पैतृक कृषि भूमि के बंटवारे में न्यायलय के आदेश के बाद अपील में मूंह की खाने के बाद भाई भूरालाल ने स्वयं के द्वारा राजस्व मंडल में लगाई निगरानी के बाद भी राजस्व विभाग में सांठगांठ कर ऐसा खेल रचा कि सारे अधिकारी उसकी शरण में नजर आये। आर्थिक लाभ के चक्कर में नियमों को ताक में रख हल्का पटवारी सवेसिंग वसुनिया और नायब तहसीलदार पेटलावद गजराजसिंह सोलंकी  ने सर्वे नंबर 238 के जो छह हिस्से हुए है उन छ: हिस्सों को मिलाकर करीब 01 हैक्टर कृषि भूमि माही परियोजना के अन्तर्गत डूब में गई है जिसका अंशानुसार छह हिस्सेदार सहकृषक में वितरीत होना थी, लेकिन राजस्व विभाग ने बड़ी गड़बड़ी करते हुए केवल माता केसरबाई व भाई भूरालाल को ही सर्वे नंबर 238 पेकी रकबा 0-90 आरा कृषि भूमि का मुआवजा 22, 84,364 रूपये दे दिया। उक्त राशि से हम अन्य खातेदारो को वंचित रखने के पीछे बड़ा षडयंत्र दिखलाई दे रहा है। 

पिता की मौत के बाद मिला था हक——

ग्राम झकनावद पटवारी हल्का नंबर 41 में नंंदाजी चौयल भूस्वामी स्वत्व व कब्जे वाली खाता क्रमांक 233 सर्वे नंबर 330 रकबा 2-35 हैक्टयर व लगान 7-26 पैसे व सर्वे नंबर 238 रकबा 5-32 हैक्टयर व लगान 26-24 पैसे तथा सर्वे नंबर 709 रकबा 0-01 आरा व लगान 0 -03 पैसे स्थित थी। जो कि उनके खातेदार नंदाजी के फोत होने पर बतौर वारिसान के भूमि सदर पर हीरालाल, मोतीलाल,व भूरालाल तीनो भाईयों के तथा दो बहनो रंभाबाई व चंदाबाई के साथ माता केसरबाई के नाम बतौर फोती नामान्तरण के राजस्व रिर्काड मेंं इन्दाज हुए।
हाईकोर्ट तक अपील हुई खारिज उक्त मामले मेे एक सिविल वाद माननीय व्हवहार न्यायालय पेटलावद में चला होकर दिनांक 23 दिसंबर 11 को एक बटटे छ: के मान से उक्त कृषि भूमि के स्वत्व का निर्णय हुआ। जिस पर भुरालाल ने जिला न्यायालय झाबुआ में अपील की गई ,वहां भी 2 अगस्त 12 को खारिज कर सिविल न्यायालय पेटलावद के निर्णय को स्थिर रखा गया। उक्त आदेश से असंतुष्ट होकर भूरालाल ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में भी अपील की गई जो 2 सितंबर 15 को माननीय हाईकोर्ट द्वारा निरस्त की गई। उक्त निर्णय के बाद हीरालाल चौयल ने व्हवहार न्यायालयों के आदेशो के पालन में उक्त भूमि का एक बट्टे छह के मान से बंटवारे का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया  यहां से कोई आदेश पारित हो उसके पूर्व भूरालाल के लडक़े अजय और पवन ने बंटवारा फर्द को चेलेंज करते हुए कलेक्टर झाबुआ के न्यायालय में एक निगरानी प्रस्तुत की जो कि क्षेत्राधिकार एवं श्रवणाधिकार नही होने से 16 जून 16 को खारिज हो गई। इस पर असंतुष्ट होकर अजय व पवन द्वारा माननीय राजस्व मंडल के ग्वालियर को पुन: निगरानी प्रस्तुत की जो कि आज तक विचाराधीन है। आपत्ति को दरकिनार कर किया बंटवाराउक्त कृषि भूमि के मामले मे निगरानी राजस्व मंडल में चलने के बावजूद भूरालाल ने बंटवारे बाबद एक प्रार्थना पत्र नायब तहसीलदार पेटलावद को दिया। जिसमें हीरालाल तथा अन्य सहखातेदारो ने निवेदन किया कि माननीय न्यायलयों के निर्णय व जयपत्र अनुसार बंटवारा हो चुका था , जिसकी निगरानी भूरालाल के पुत्रों द्वारा रा’ास्व मंडल में लगाई गई है । जब तक उक्त निगरानी का अंतिम निर्णय नही होता तब तक माननीय नायब तहसीलदार के न्यायालय को उक्त भूमि का नए सिरे से बंटवारे करने का क्षैत्राधिकार नही आता है।उक्त आपत्ति को दरकिनार कर अन्य सहखातेदारो को सुने बिना ही तथा पर्याप्त सुनवाई के अवसर दिये बिना ही नायब तहसीलदार द्वारा पुन: बंटवारा कर दिया। श्री चोयल ने बताया कि बंटवारा सूचि हल्का पटवारी द्वारा तैयार की गई उसमें न तो हम दो भाई और दोनो बहिनो को न तो सूना गया नही हस्ताक्षर करवाएं गये। 
संहिता के विपरीत जाकर हुआ बंटवारा इस तरह तत्कालीन नायब तहसीलदार गजराजसिंह ने संहिता के प्रावधानों क्षेत्राधिकार व श्रवणाधिकार के विपरीत जाकर नये सिरे से बंटवारा कर दिया तथा माननीय सिविल न्यायालय के निर्णय व जयपत्र अनुसार जो पूर्व में माननीय तहसीलदार द्वारा विधी के अनुरूप बंटवारा किया था उसे नायब तहसीलदार श्री सौलंकी द्वारा अमान्य कर दिया। दूसरी बार बंटवारा किया गया उसके पूर्व सभी नंबर सामलाती थे। तब कलेक्टर के यहां से एक विज्ञप्ति का प्रकाशन भी हुआ था जो कि ग्राम पंचायत झकनावद के बोर्ड पर 4 अपै्र्रल 16 को चस्पा भी किया गया। 
डूब मे गई सभी की भूमि लेकिन मुआवजा दो को–

इस मामले मेें कृषक हीरालाल, मोतीलाल, रंभाबाई व चंदा बाई ने सयुक्त रूप से एसडीएम सीएस सोलंकी के न्यायालय में मुआवजा राशि को लेकर आपत्ति भी प्रस्तुत की गई, लेकिन सोलंकी ने उक्त आपत्ति पर विचार नही करते हुए ताबड़तोब उक्त अपील भी निरस्त कर दी गई। संहिता के प्रावधानों के विपरीत व मौके का सही स्थिति का मुआयना किये बगैर अवैधानिक तौर पर चुकता मुआवजा राशि 22,84,364 रूपये जो कि सर्वे नंबर 238 पेकि रकबा 0-90 आरा की होकर भूरालाल व केसरबाई को ही आवंटित कर दी। जबकि कृषि भूमि के नक्क्षे व बट्टा नंबर के मान से देखे तो सर्वे नंबर 238/ 1 से लगाकर 238/ 6 तक की सभी हिस्सों में माही परियोजना के अन्तर्गत डूब मेे गई है।
कही नही हो रही सुनवाई
अवैधानिक तरीके से नामांतरण करने और मुआवजा राशि बांटने के मे राजस्व विभाग की मिली भगत के विरोध में हीरालाल चौयल, मोतीलाल चौयल तथा रंभाबाई व चंदाबाई ने जनसुनवाई मेें कलेक्टर , कमिश्रर, राजस्व सचिव सहित मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है कि मुआवजा प्रकरण में जिन अधिकारियो ने लापरवाही व अनियमितता बरती है उनके विरूद्व कड़ी कार्रवाही की जावे। लेकिन कही सुनवाई न होते देख पीडित कृषको ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि उनके हिस्से की मुआवजा राशि उन्हे दिलाई जाए।

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