क्या बीजेपी स्वर्गीय “दिलीपसिंह भूरिया” को भुला रही है ? यह बाते तो यही साबित करती है !

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 चंद्रभानसिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर
 एक जमाने मे आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग कर कांग्रेस के दिग्गज नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बैचैन कर देने वाले ; भूरिया ओर जनजातिय आयोग के अध्यक्ष ; सांसद रहे ओर वरिष्ठ आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया को क्या भाजपा भुलाना चाहती है ? क्या उनके नाम से पार्टी किनारा करना चाहती है ? यह सवाल इसलिऐ उठ रहे है कि लगातार ऐसा हो रहा है .. आपको मय व्याख्या के सिलसिलेवार हम बताते है पहले आते है हाल ही झाबुआ मे हुऐ बीजेपी के जनजातिय सम्मेलन पर .. विगत 6 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान झाबुआ मे आदिवासियों के बडे ” जनजातीय सम्मेलन” मे आये थे ..आगामी विधानसभा ओर लोकसभा चुनाव के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने गये इस जनजातिय सम्मेलन मे अमित शाह ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार भी स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया का नाम नही लिया ना उनका स्मरण किया ओर ना ही मंच से उन्हे श्रंद्धांजलि दी .. इतना ही नही मंच के पीछे लगे पोस्टर तक मे स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया के फोटो को जगह देना भाजपा ने उचित नही समझा .. । अमित शाह ओर शिवराजसिंह चौहान 6 अक्टूबर को हैलीपेड से सभा स्थल पर आये उसी रुट पर स्वर्गीय सांसद दिलीपसिंह भूरिया की विशाल प्रतिमा भी थी लेकिन वहा रुककर दोनो नेताओ ने पुष्पांजलि करना भी जरूरी नही समझा .. इसके पूर्व आपको याद दिलवा दे कि हर कुछ मिनटों मे ट्वीट करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया की पुण्यतिथि पर बतोर श्रंद्धांजलि एक ट्वीट भी नही किया .. गौरतलब है कि स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया कांग्रेस के कद्दावर सांसद रहे है ओर भाजपा मे उनके आने के बाद ही झाबुआ – अलीराजपुर जिले मे भाजपा का भला होना शुरु हुआ था .. अटलजी ओर आडवाणी के युग मे अटलजी को भाजपा मे खूब महत्व मिलता था हालांकि मोदी के दोर मे भाजपा ने उन्हे सांसद बनाया लेकिन वे असमय ही काल का शिकार हो गये ..। लेकिन अब जिस तेजी से भाजपा स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया को भुलाने मे जुटी है उससे लगता है कि बीजेपी माछलिया के भूरिया परिवार के प्रति ठीक मंसुबे नही रखती ।

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