कॉलेज बाउंड्रीवॉल में बाहर छोड़ दी 1 हेक्टेयर भूमि संदेह के घेरे में

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– पहले बाउंड्रीवाल का निर्माण दूर से किया गया था बाद में उसे बंद कर भवन के करीब से किया गया.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
शाासकीय कॉलेज में 1.5 करोड़ की लागत से बाउंड्रीवॉल निर्माण का कार्य चल रहा है किंतु यह निर्माण कार्य प्रारंभ से लेकर आज तक विवादों में है। बाउंड्रीवॉल निर्माण में कालेज की लगभग 1 हेक्टयर भूमि को बाउंड्रीवॉल के बाहर छोड़ दिया गया है जिस कारण से कॉलेज की बड़ी भूमि चली गई है जिसके लिए नगर के नागरिकों ने विरोध किया है और प्रशासन से मांग की है कि कॉलेज की भूमि को इस प्रकार खाली न छोड़ा जाए। यदि यह भूमि खाली छोड़ी जाती है तो इस पर अतिक्रमण हो जाएगा और करोड़ों रुपए की यह भूमि कुछ लोगों के फायदे का सौदा बन जाएगी। वहीं कॉलेज के छात्रों का कहना है कि कुछ लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए कॉलेज के अंडर में आने वाले करोड़ों रूपए की जमीन को छोड़ा जा रहा है जिस कारण से आने वाले समय में कालेज को प्रयोग शाला व अन्य कार्यों के लिए निर्माण हेतु भूमि उपलब्ध नहीं हो पाएगी। आज जो भूमि छोड़ी जा रही है इसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा।
इस संबंध में कॉलेज प्रशासन ने भी अपने हाथ छटक लिए उनका कहना है कि पीडब्ल्यूडी के कहने पर भूमि छोड़ी गई है, जबकि पीडब्ल्यूडी का कार्य केवल निर्माण करना है। भूमि छोडऩा या रखने का कार्य राजस्व विभाग का है जबकि राजस्व विभाग को इस बात की भनक ही नहीं है, जिस कारण से संदेहास्पद स्थिति निर्मित हो रही हैकि आखिर किस के कहने पर मुख्य मार्ग से सटी करोड़ों रुपए की जमीन छोड़ी जा रही है। यदि यह भूमि कॉलेज के पास रहती है तो कई प्रकार के अन्य कार्यों में इसका उपयोग हो सकता है। अन्यथा आने वाले समय में कॉलेज का विकास होने के साथ यहां स्थान की कमी रहेगी.
जनहित याचिका लगाएंगे-
इस संबंध में नगर के सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि कॉलेज की जमीन को छोड़ा गया और उस पर अन्य लोगों ने अतिक्रमण किया तो हमारे द्वारा जनहित याचिका लगाई जाएगी तथा अधिकारियों व इस कार्य से जुड़े लोगों को कड़घरे में खड़ा किया जाएगा। आखिर कीमत जमीन को इस प्रकार कैसे छोड़ सकते है। शासन बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए पैसा दे रहा है और अधिकार कतिपय लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इस प्रकार के कार्य कर रहे है।
कोई लिखित आदेश या प्रस्ताव नहीं-
बाउंड्रीवाल निर्माण को कम ज्यादा करने को लेकर किसी प्रकार का कोई लिखित आदेश या प्रस्ताव नहीं बनाया गया है। स्टीमेट के अनुसार निर्माण कार्य किया जाना था किंतु उस और भी ध्यान न दे कर केवल मौखिक आदेशों पर निर्माण कार्य किया जा रहा है यहां तक की राजस्व विभाग के अधिकारियों की जानकारी में भी नहीं है और किस प्रकार बनी हुई टेक्निकल सेंशन और प्रशासनिक स्वीकृति के विरुद्ध बाउंड्रीवाल निर्माण का कार्य चल रहा है. यह जांच का विषय है।
अधिकारियों की जुबानी-
हमारे जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है कि कॉलेज अपनी भूमि छोडक़र बाउंड्रीवाल बना रहा है। हमारे द्वारा पूरी नाप कर भूमि कॉलेज के सुपूर्द की गई थी। अब यह उन्हें देखना है कि बाउंड्रीवाल कहां बनाना है।
-सीएस सोलंकी, एसडीएम पेटलावद-

पीडब्ल्यूडी के कहने पर भूमि छोड़ी जा रही है। हमारे द्वारा कोई जमीन छोडऩे का नहीं कहा गया है। – जेपी पाटीदार, प्राचार्य शासकीय कॉलेज पेटलावद

– पीडब्ल्यूडी, कॉलेज प्रबंधन और राजस्व विभाग के कहने पर हमारे द्वारा जमीन छोड़ी गई है। पहले पूरी जमीन पर बाउंड्रीवाल बनाने का कहा गया था बाद में जमीन कम की गई है। कमल गादिया, ठेकेदार

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