झाबुआ। कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के चुनाव संचालक शांतिलाल पडियार, जिला कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल मेहता, कार्यवाहक अध्यक्ष कलावती भूरिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ठा.जोरावर सिंह, प्रकाश रांका, राजेश भट्ट, जितेन्द्रप्रसाद अग्निहोत्री, यतिन्द्र शर्मा और प्रवक्ता द्वय आचार्य नामदेव और हर्ष भटट ने आज संयुक्त रूप से जारी बयान में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह से 12 सवाल पूछे है और उनसे आग्रह किया है कि वे अगली बार जब रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए आएं तब यहां के मतदाताओं को इन सभी सवालों के समाधान कारक जवाब अवश्य दें। मतदाता इन सवालों के जवाब मुख्यमंत्री से सुनने के लिए काफी उत्सुक हैं।
कांग्रेस ने कहा मुख्यमंत्री से यह पूछे 12 सवाल-
1. रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के झाबुआ, अलीराजपुर और रतलाम जिलों के आदिवासी लोग मजदूरी न मिलने से पड़ोसी राज्यों की ओर पलायन कर रहें है। यह एक गंभीर समस्या है। सरकार को भी इसकी पूरी जानकारी है फिर भी इस पलायन को रोकने हेतु सरकार ने प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए?
2. पेटलावद विस्फोट को दो महीने होने जा रहे है। ऐसे में विस्फोट के मुख्य आरोपी राजेन्द्र कांसवा की गिरफ्तारी अब तक क्यों नही हुई? क्या यह आशंका सही नहीं है कि कांसवा को बचाने के लिए मध्यप्रदेश की पुलिस की काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह लगाये जाने का अपराध मध्यप्रदेश सरकार कर रही है?
3. जनचर्चा है कि कांसवा मध्यप्रदेश में ही किसी सुरक्षित गुप्त स्थान पर छीपा हुआ है। यदि यह सही है तो अब तक उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
4. भाजपा शासनकाल के पिछले 12 वर्षों में रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के लिए कुल कितनी घोषणाएं, कितनी राशि की मुख्यमंत्री द्वारा की गई है? इनमें से कितनी पूर्ण हो चुकी हैं और कितनी पर अभी प्रारंभिक काम भी शुरू नहीं हुआ है?
5. आरएसएस के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत के बयान से लगता है कि वे देर-सवेर आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को खत्म कराने के इच्छुक है। आदिवासियों और दलितों की जनसंख्या के हिसाब से एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री से मतदाता यह सुनना चाहते है कि इस बारे में उनकी प्रतिक्रिया क्या है?
6. क्या मध्यप्रदेश में सरकार ने राशन कार्ड की कानूनी मान्यता समाप्त कर दी है? यदि नहीं तो रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के तीनों जिलों में उपभोक्ताओं को वैध राशन कार्ड होने के बावजूद कहीं से ‘‘पर्ची’’ लाने के लिए दुकानदारों द्वारा मजबूर क्यों किया जा रहा है?
7. राज्य सरकार भी इस तथ्य से अनजान नहीं होगी कि सत्तारूढ भाजपा में जिला, ब्लाॅक और पंचायत स्तर पर ऐसे लोगों के गिरोह बन चुके हैं जो छोटे सरकारी अधिकारियों ओर कर्मचारियों तथा व्यापारियों से भय दिखा कर बड़े पैमाने पर वसूली कर रहे हैं। यदि सरकार की जानकारी में यह तथ्य है तो ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार के स्तर पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
8. रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के लिए पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के प्रयासों से जो दो रेल परियोजनाएं मंजूर हुई है उनका सर्वे कार्य तो पूरा हो चुका है लेकिन जमीनी स्तर पर काम आगे नहीं बढ़ रहा है। शिकायत है कि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध कराने का मामला 7-8 साल से दबाए बैठी है। मतदाता इस बारे में मुख्यमंत्री से वस्तुस्थिति जानना चाहते हैं।
9. आपके कार्यकाल में इस संसदीय क्षेत्र की कितनी बेटियां मानव तस्कर गिरोहों द्वारा गायब की गई है? इनमें से कितनी बरामद कर परिवारों को सौंपी जा चुकी हैं और कितनी का अभी तक कोई अता-पता नहीं है?
10. पंचायतीराज की व्यवस्था को विकास की रीढ माना जाता है और उसीके द्वारा ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के सफल होने की उम्मीद भी की जाती है। ऐसी दशा में मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा इस व्यवस्था को लेकर इन दिनों जो उपेक्षा की नीति अपनाई जा रही है, क्या वह पंचायतीराज को समाप्त करने की ओर बढ़ने की सूचक नहीं है?
11. संसदीय क्षेत्र की सड़कों के गड्ढ़ों में तब्दील होने के लिए बजट की कमी जवाबदार है या सड़क निर्माण में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार?
12. राज्य मंत्रि-मंडल के अधिकतर सदस्य रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए डेरा डाले हुए हैं। स्पष्ट है कि वे इन दिनों इस क्षेत्र में रहकर किसी प्रकार का शासकीय कार्य संपादित नहीं कर रहे हंै। ऐसी दशा में ‘‘नो वर्क-नो फेसिलिटी’’ के सिद्वांत के तहत क्या चुनाव प्रचार कार्य में संलग्न रहने के आधार पर ऐसे मंत्रियों के वेतन-भत्ते की राशि की कटौती कर वह खजाने में जमा की जाएगी?
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