कल्याणपुरा पुलिस पर लगा गंभीर आरोप ; आरोपी के भागने के बाद बनाई फर्जी एफआईआर ! एसपी ने दिए जांच के आदेश
मुकेश परमार @ क्राइम रिपोर्टर
झाबुआ जिले की कल्याणपुरा पुलिस पर एक गंभीर आरोप लगा है। पुलिस पर आरोप है कि उनके कब्जे से 25 आम्स॔ एक्ट का एक आरोपी भागने के बाद उन्होंने पूरी सरकार ; विभाग के आला अधिकारी ओर यहां तक की न्याय पालिका को गुमराह किया ओर फर्जी एफआईआर बनाई।बहरहाल मामला सामने आने के बाद एसपी झाबुआ विनीत जैन ने पूरे मामले की जांच एएसपी झाबुआ विजय डावर को सोंपी है ओर डावर मामले की जांच के अंतिम चरण मे है ।
यह है पूरा मामला ओर आरोप
कल्याणपुरा पुलिस थाने पर 11 मार्च 2019 को अपराध क्रमांक 87/19 पर एक एफआईआर दर्ज होती है धारा लगती है। 25 आम्स॔ एक्ट की ओर आरोपी नानसिंह को तलवार के साथ गिरफ्तार होना बताया जाता है ओर विभाग सहित शासन ओर एनसीईआरबी को रिपोर्ट भी भेजी जाती है ओर इस नानसिंह नामक आरोपी को मेडिकल परीक्षण के लिए कल्याणपुरा के स्वास्थ केंद्र भेजा जाता है, जहां डाक्टर हार्दिक नायक 12 मार्च को उसका मेडिकल करते है ओर उसके पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रजिस्टर मे बकायदा नानसिंह ( आरोपी ) का नाम भी लिखा जाता है लेकिन सूत्रों के अनुसार मेडिकल परीक्षण के तुरंत बाद आरोपी नानसिंह पुलिस के कब्जे से फरार हो जाता है । लेकिन इस फरारी की कोई सुचना विभाग के आला अधिकारियों को नही दी जाती है ओर ना ही फरार होने के जुम॔ मे कोई एफआईआर नानसिंह के खिलाफ दर्ज की जाती है । इसी 12 मार्च को कल्याणपुरा पुलिस एक गलती ओर करती है रोज़नामचा मे नानसिंह को लेकर झाबुआ कोट॔ ले जाने की रवानगी वापसी की जाती है जबकि वह फरार हो चुका होता है । इतने फर्जीवाडे तक ही पुलिस नहीं रुकती बल्कि इस फरारी को छिपाने के लिए एक नयी फर्जी एफआईआर कुटरचित की जाती है जिसमे अपराध क्रमाक वही 87/19 दर्शाया जाता है ओर तारीख ओर आरोपी भी वही लेकिन आरोपी को तलवार फेंककर फरार होना बता दिया जाता है ओर उसके बाद अचानक 17 मार्च 2019 को आरोपी नानसिंह को गिरफ्तार कर यह दर्शाया जाता है कि 11 मार्च को नानसिंह फरार हुआ था ओर उसे अब गिरफ्तार किया गया है ओर संभवतः फर्जी एफआईआर कोट॔ मे नानसिंह के साथ कल्याणपुरा पुलिस पेश करती है जहा उसकी जमानत हो जाती है।
खुद अपराध कर गयी खाकी
इस पुरे मामले मे कल्याणपुरा पुलिस ने खुद अपराध किया है ।कानूनन कुट रचित दस्तावेज गढना आयपीसी की धारा 420 ; 467/468 का एक गंभीर अपराध है ओर यह अपराध खुद खाकी करे ओर वह भी पुलिस के आला अधिकारियो ओर न्याय पालिका को गुमराह करने के लिए तो इसकी गंभीरता कितनी बढ जाती है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मामले मे उठते सुलगते सवाल ?
इस पूरे मामले मे कुछ ऐसे सवाल खडे हो रहे है जो काफी गंभीर है इन सवालो का जवाब शायद एएसपी विजय डावर भी अपनी जांच मे ढुंढने का ईमानदार प्रयास करेगे ।
सवाल नंबर -1 – अगर 11 मार्च को असली एफआईआर के अनुसार नानसिंह गिरफ्तार हो चुका था तो नियमानुसार 24 घंटे के भीतर उसे कोट॔ मे पेश करने की बजाय 6 दिन बाद 17 मार्च को क्यो पेश किया गया ?
सवाल नंबर -2 – क्या फर्जी एफआईआर जिसमे नानसिंह को पहले फरार बताकर ओर फिर 17 मार्च को गिरफ्तार बताकर पेश करना न्यायपालिका को गुमराह करना नही है ?
सवाल नंबर -3 – 12 मार्च को रोज़नामचा मे फर्जी रवानगी ओर वापसी करना क्या विभागीय स्तर पर गंभीर मामला नही है ?
सवाल नंबर- 4 – आरोपी के भागने ; उसके बाद फर्जी एफआईआर की कुट रचना ; फर्जी रवानगी ओर वापसी करना क्या कल्याणपुरा पुलिस द्वारा एसपी ओर अन्य आला अधिकारियों को गुमराह करना नही माना जाना चाहिए ?
सवाल नंबर -5 – कानूनन 25 आम्स॔ एक्ट का अपराध आरोपी की गिरफ्तारी के साथ ही घटित होता है तो क्या फर्जी एफआईआर दर्ज करते समय कल्याणपुरा पुलिस के जिम्मेदारो को इसकी जानकारी नहीं थी ?
अब चर्चा है निचले स्टाफ पर जिम्मेदारी डालने की
सूत्र बताते है कि 11 मार्च से लेकर 17 मार्च तक के घटनाक्रम मे कल्याणपुरा टीआई गीता सोलंकी की भूमिका संदिग्ध रही है स्टेशन इंचाज॔ होने के चलते उनकी भूमिका ओर जिम्मेदारी बनती है ओर वे बच नहीं सकती .. हमारे सुत्र बता रहे है कि टीआई यह सारा फर्जीवाडा अपने अधीनस्थो पर डालकर बचना चाहती है ओर इसके लिए सारे जतन कर रही है लेकिन सुत्र यह भी बताते है कि एएसपी को जांच मे अधीनस्थो ने भी टीआई के संज्ञान मे पूरा मामला होने संबंधी बयान दे दिये है ।
यह बोले जिम्मेदार
यह सच है कि कल्याणपुरा पुलिस 12 मार्च को नानसिंह को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे मेडिकल परीक्षण के लिए लाई थी ओर हमने परीक्षण कर रिपोर्ट पुलिस को सोंप दी थी। – डाक्टर हार्दिक नायक – मेडिकल आफिसर
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पूरा मामले की जांच एएसपी झाबुआ से करवाई जा रही है जांच प्रतिवेदन के आधार पर मामले मे कारवाई की जायेगी। – विनीत जैन – एसपी झाबुआ
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