झाबुआ ”आजतक डेस्क”: सरकार कोई भी हो हमेशा से उसका फोकस स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग पर रहा हैं। सरकार इसके लिए योजनाएं भी बनाती है लेकिन इसके सही तरीके से अमल में नहीं लाने की वजह से अपेक्षित नतीजे नहीं निकलते है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए झाबुआ कलेक्टर बी. चन्द्रशेखर ने एक अनूठी पहल छह महीने शुरू की थी जिसके तहत इन विभागों के प्रमुखों को यह शपथ पत्र देना था कि वह जिला मुख्यालय में रहेंगे और वहीं सेवाएं देंगे।
कलेक्टर बी. चन्द्रशेखर ने छह महीने पहले इसे लागू किया था। इस दौरान पंचायत चुनाव और अन्य सरकारी कामकाज की वजह से उन्होंने इस पर सख्ती नहीं की थी, लेकिन अब जैसे ही सारी चुनावी प्रकिया खत्म हो गई तो उन्होंने नए सिरे से इसकी समीक्षा शुरू की। इस दौरान की गई जांच में खुलासा हुआ की हेल्थ और महिला एवं बाल विकास विभाग के 100 से ज्यादा कर्मचारी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस आदेश पर अमल नहीं ला रहे है या फिर उन्होंने जो शपथ पत्र दिया था वह गलत था। इसी के बाद दो दिनों के भीतर 100 से ज्यादा कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है और इसके भी कही ज्यादा कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
दरअसल, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि झाबुआ अंचल प्रदेश के ही नहीं देश के सबसे पिछड़े इलाकों में शामिल है। यहां 46 प्रतिशत आबादी कुपोषण जैसे शाप से ग्रसित है जबकि संस्थागत प्रसव के मामले में भी यहां हाल बेहतर नहीं है। इसी वजह से कलेक्टर का फोकस खासतौर पर इन्हीं दो विभागों पर था।
हालांकि, कलेक्टर ने आदेश छह महीने पहले जारी किया था लेकिन इसके बाद वह पैनी नजर बनाए हुए थे। वहीं अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से कर्मचारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे। वह इस बात से बेखबर थे कि जिला मुख्यालय से उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। अब जैसे ही कलेक्टर को थोड़ी फुरसत हुई उन्होंने दो दिनों में ऐसे सभी कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई कर दी।