एक साल बाद भी ” सिसक ” रही है जिंदगीया

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झाबुआ Live के लिए ” पेटलावद” से ” हरीश राठोड” की EXCLUSIVE ग्राउंड रिपोर्ट । 

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एक कहावत है ” सरकारो के खाने के दांत अलग ओर दिखाने के दांत अलग होते है ” ओर यह कहावत मध्यप्रदेश के इतिहास के सबसे बडे ” पेटलावद blast ” मामले मे ” हादसे के बाद ” cm शिवराज सिंह चोहान” के पीडित परिवारो से किये गये वायदो ओर उन वादो के एक साल बाद की हकीकत देखकर सिद्ध होती है । दरअसल पेटलावद blast के एक साल बाद झाबुआ Live  ने जब इस हादसे मे मारे गये ओर घायल हुए लोगो ओर उनके परिजनो तक पहुंचकर सीएम यानी सरकार की घोषणा की ” रियलिटी चेक ” की तो तस्वीर बेहद निराशाजनक उभरी । blast पीडितों की जिंदगी अभी तक सिसक रही है मुख्यमंत्री हादसे के बाद एक एक मृतक के घर गये थे ओर तरह तरह के आश्वासन ओर वादे कर आये थे मगर सीएम के अफसरो ने खुद सीएम के अफसरो ने पलीता लगा दिया । वादे करने के बाद खुद सीएम ने ना पलटकर देखा ओर ना उनके किसी मंत्री ने कि उनकी दवारा दी गयी जुबान की हकीकत जमीन पर क्या है ! दरअसल पेटलावद blast विगत 12 सितंबर 2015 को पेटलावद के new बस स्टैंड पर सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर हुआ था जिसमे मुख्य आरोपी ” राजेंद्र कांसवा” सहित कुल 78 लोग मारे गये थे जिनमे 6 गुजरात के निवासी से जो गुजरते वक्त पास के एक रेस्टोरेंट मे जलपान के लिए रुके थे अब आंकडा निकाले तो 71 लोग ऐसे थे जिन्हें सरकारी सहायता अलग अलग तरीको से मिलनी थी जिनमे 5 लाख रुपये आर्थिक सहायता भी शामिल थी । लेकिन सीएम ने पेटलावद blast मे मारे गये लोगो के परिजनो को ” रोजगार” ओर घायलो के सरकारी खच॔ पर उपचार के अलावा , वृद्धो को पेंशन , इंदिरा आवास , किसी को बाजार मे दुकान आदि के वायदे किये थे मगर अधिकांश वायदे जमीन पर आकार नही ले पाये है । कुछ उदाहरणो से समझिए क्या है एक साल बाद इन पीडितो का दद॔ ओर सीएम की घोषणाओ का सच ।

केस -1 – जानकीबाई ( विधवा )  पति let गुलसिंह – निवासी – खेरिया गांव – तहसील पेटलावद ) 20160910_102311-1

जानकीबाई के पति गुलसिंह blast मे मारे गये थे वे खेती किसानी का काम करते थे । सीएम शिवराजसिंह 14 तारीख को सुबह 10 बजकर 46 मिनट सीएम ढांढस बंधाने ” जानकीबाई” के घर ” खेरिया” गांव पहुंचे ओर परिवार की जानकारी ली तो पता चला कि हादसे मे मृतक गुलसिंह के 5 बच्चे छोटे है ओर परिवार को कोई नही है तो सीएम ने तुरंत अफसरो को आदेश दिया कि ” जानकीबाई ” को तुरंत ” आंगनवाड़ी सहायिका ” पद पर नियुक्ति दे दी जाये ओर उनके कच्चे मकान को इंदिरा आवास मे परिवर्तित करे । सीएम के जाने के बाद अफसर ओर सीएम के मंत्री सीएम की इस घोषणा को भूल गये । इस दोरान जानकीबाई सरकारी दफ्तरो के चक्कर लगाती रही ओर 8 महीने तक उसकी कोई सुनवाई नही हुई लेकिन तीन महीने पहले उसे ” अंशकालीन काम दिया गया थादंला जनपद के एक आश्रम मे खाना बनाने के ओर वेतन तय हुआ है 2500 रुपये यानी कलेक्टोरेट दर से भी आधा ओर सरकार दवारा घोषित मजदूरी से भी लगभग एक तिहाई । अब जरा सुनिए विगत तीन माह से जानकीबाई की दिनचर्या क्या है वह सुबह 5 बजे उठती है ओर सबसे पहले अपने 5 बच्चो के लिए खाना बनाकर रख जाती है ओर तैयार होकर 2 किमी कच्चे रास्ते के सफर को पैदल चलकर तय करती है ओर थादंला – पेटलावद मुख्य माग॔ पहुंचती है ओर फिर बस पर बैठकर थादंला पहुंचती है ओर बच्चो का नाश्ता फिर लंच तैयार करती है उसके बाद शाम का खाना बनाकर 8 बजे रात को वापिस घर पहुंचती है ओर फिर यहां अपने बच्चो का खाना बनाती है । जानकीबाई के पिता पास के गांव से आकर अक्सर बच्चो की देखभाल करते है अभाव के चलते दो बच्चे पढाई भी छोड चुके है जानकीबाई के पिता ” सोमला” कहते है कि 8 महीने बाद अंशकालीन नियुक्ति दी है वेतन आधा आने जाने मे खतम हो जाते है ओर जबसे बेटी को खाना बनाने का काम मिला है तब से 3 महीने की पगार तक नही मिली है लेकिन उम्मीद के सहारे बेटी काम कर रही है खुद को झोंके रहती है आखिर 5 बच्चो का पेट जो पालना है । सोमला कहते है सरकार स्थाई नियुक्ति देगी तो ही बच्चे पलेगे वरना ऐसे तो कुछ नही होगा ।

केस -2 – गांव – नाहरपुरा – मृतक- युवक हक्कु बारिया .। 20160910_114235

हक्कु की मोत blast मे हो गयी थी तब सीएम ने 14 तारीख को आकर ढांढस बंधाया ओर कहा कि मृतको के परिजनो को 5 लाख के मुआवजे के साथ आपके परिवार के किसी सदस्य को नोकरी या चोकीदारी का काम दे देंगे या बडे बेटे पप्पू को 7 लाख का टेंपो दिलवा देते है ओर आप परिवार को इंदिरा आवास ओर पेंशन । यह वाले सीएम ने मृतक हक्कु के पिता ” हेमचंद्र पिता सोमजी ” से किये थे मगर अब हेमचन्द्र कहते है कि सीएम ने बोल गये मगर आज दिनाक तक ना तो किसी को नोकरी मिली या ना बेटे को टेंपो दिया गया ओर वृद्धाअवस्था पेंशन का तो वे अभी तक इंतजार ही कर रहे है हेमचंद्र कहते है कि सीएम को एक बार फिर सभी पीडितो के यहां आकर अपनी की हुई घोषणाओ की हकीकत देखनी चाहिए ।।

केस – 3 – गांव – नाहरपुरा , पीडित – लीलाबाई पति रामा मैडा & बेटी                  सोना पिता रामा मैडा 20160910_125248

पेटलावद हादसे मे दुध देने गयी ” लीलाबाई बुरी तरह जख्मी हो गयी थी साथ ही उनकी बेटी जो ट्युशन गयी थी वह भी बुरी तरह जख्मी हो गयी थी । सीएम ने वायदा किया था कि इलाज घायल जहां भी करवाना चाहे करवाये ईलाज के खच॔ की पाई पाई सरकार चुकाएगी लेकिन लीलाबाई जीता जागता सबूत है कि सीएम का यह वादा भी अफसरो ने हवा मे उठा दिया । लीलाबाई का कहना है कि उनके पेट मे पत्थर ओर बारुद घुस गया था ओर बाई आंख भी चोटिल हुई थी सरकार ने दाहोद मे इलाज करवाया मगर ठीक नही हुई तो पेटलावद के निजी ” चोयल अस्पताल ” मे इलाज करवाया तब जाकर ठीक हुई ओर इसके लिए उन्होंने अपनी 500 ग्राम चांदी गिरवी रखी ओर साहुकार से कज॔ लिया तब जाकर वे ठीक हुई इस पर उन्होंने 35 हजार तो चोयल अस्पताल को दिये ओर ब्याज अभी भी चुका रहे है ।।

इस हादसे ने कई लोगो की जिंदगी बदरंग कर दी है तो किसी का भविष्य खतरे मे डाल दिया है लीलाबाई की बेटी ” सोना ” हादसे के समय 9 वी मे पढती है उनके पेट ओर सिर मे बारुद घुस गया था बमुश्किल जान तो बच गयी लेकिन अब जीवन मुशिकल भरा हो चुका है शरीर का तापमान ” सोना ” का बिगड चुका है अब आलम यह है कि सोना धूप मे चलती है या तापमान जब बढता है तो उसे चक्कर आने लगते है ओर वह बेहोश भी हो जाती है शारीरिक काम अब उसके बस की बात नही रही ओर पढाई का भी एक साल बिगड चुका है ।

केस -4 – मृतक – विक्रांत पंवार (30 )  निवासी – पेटलावद 20140830_191924

सीएम ने मृतक परिवार से 13 सितंबर से मुलाकात की थी तब सीएम को बताया गया कि मृतक की पत्नी पढी है ओर संविदा शिक्षक वग॔ -3 की पात्रता रखती है । सीएम ने विक्रांत की  पत्नी ” चेतना पंवार” ओर उनके दो मासूम बच्चो को देखते हुए अफसरो को चेतना को संविदा शिक्षक बनाने का आदेश दिया मगर एक साल तक सैकड़ो बार चेतना ओर उसका परिवार सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाता रहा मगर चेतना को नोकरी नही दी गयी । परेशान हाल चेतना अब अपने मायके ” जावरा” के एक निजी स्कूल मे 3000 रुपये महीने की नोकरी कर रही है चेतना के जेठ प्रवीण पंवार कहते है सीएम यु तो कहते है कि अफसर मेरे कहे को दस्तावेज माने लेकिन पेटलावद के पीडितो के मामले मे अगर अफसर ऐसा नही कर रहे तो क्या यह माने कि सीएम की कथनी ओर करनी मे अंतर है ?

पेटलावद हादसे के मृतको के परिजनो का जीवन ” सिसक ” रहा है तो घायलो की जिंदगी बदरंग होकर इलाज के कज॔ मे दबा हुआ है सरकारी मरहम सियासी साबित हुआ है अधिकांश पीडि़त कह रहे है कि चुंकि पेटलावद blast के पहले ही रतलाम संसदीय सीट पर उपचुनाव होना था ओर पेटलावद विधानसभा सीट उस उपचुनाव का महत्वपूर्ण हिस्सा थी लिहाजा सीएम ओर सरकार ने मरहम लगाने का दिखावा किया ओर चुंकि उपचुनाव मे बीजेपी सीएम के चेहरे के साथ लडने के बाद भी हार गयी तो अब उन वादो को भुला दिया गया है । कांग्रेस सांसद ” कांतिलाल भूरिया कहते है कि ” सीएम ने यहां आकर सिफ॔ दिखावा किया था हकीकत मे लोग परेशान है ओर अफसर मजे कर रहे है लेकिन जनता इनको माफ नही करेगी । वही इलाके के एसडीएम मे सीएम की घोषणाओ के क्रियानवयन के नोडल अधिकारी ” सी एस सोलंकी ” कहते है कि सभी को 5 लाख रुपये दे दिया गया है ओर अधिकांश को पात्रता अनुसार नोकरी भी दे दी है । जो आरोप लगाये जा रहे है वह गलत है । यहा आपको हम बताते चले कि 65% से अधिक लोग को रोजगार नही मिला है लेकिन हम सभी के उदाहरण ना लेकर सांकेतिक उदाहरण दे रहे है ओर झाबुआ लाइव के पास सभी पीडितो के वीडियो बयान है ।

 

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