एक ऐसा सरकारी प्राइमरी स्कूल जो निजी स्कूलों को दे रहा है कांटे की टक्कर, यहां के शिक्षकों को भी सेल्यूट करने के मजबूर हो जाएंगे आप
जितेंद्र राठौड़, झकनावदा
आज के दौर में जब निजी स्कूल, सरकारी स्कूलों पर शिक्षकों के वेतन छोडक़र हर तरह से भारी है, जनमानस अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों से इतर निजी स्कूलों में पढ़ाने की गला-काट स्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे दौर में मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में एक ऐसा प्राइमरी स्कूल भी है जो इस धारणा को गलत साबित कर रहा है कि हमेशा निजी स्कूल है सरकारी स्कूलों से बेहतर होते हैं और इसे अपनी आंखों से देखना हो, तो आप झाबुआ जिले के पेटलावद विकासखंड के झकनावदा में चले आईए, जहां का प्राथमिक स्कूल इस धारणा को तोड़ता नजर आता है।
स्कूल में मौजूद हैं यह सुविधाएं –
शासकीय प्राथमिक विद्यालय झकनावदा का स्कूल भवन बेहद आकर्षक है और करीने से सजाया गया है। स्कूल की दीवारों पर ज्ञानवद्र्धक संदेश है, तो पढ़ाई और समग्र विकास के लिए वे सारे संसाधन मौजूद हैं जो जरूरी होते हैं। इस स्कूल में अंग्रेजी में भी शिक्षा होती है तो साथ में योगा भी सिखाया जाता है। संगीत की शिक्षा यहां होती है तो बच्चों को कम्प्यूटर का ज्ञान भी दिया जाता है। खेल-खेल में पढ़ाना सीखाने के साथ प्रचलित खेल भी सिखाए जाते हैं। इन सबके अलावा बच्चों के स्कील डवल्पमेंट और पढ़ाई पर खास फोकस होता है। समय पर उच्च गुणवत्ता के साथ मध्यान्ह भोजन इस स्कूल की विशेषता है।
इसी स्कूल में पढ़े थे हेडमास्टर साहब, अब पम्पलेट्स बांटकर पालकों को बच्चे भेजने के लिए प्रेरित करते हैं
झकनावदा के इस प्राथमिक विद्यालय हेड मास्टर हेमेंद्र कुमार जोशी का इस स्कूल के साथ अजीब संयोग जुड़ा हुआ है। जोशी जी ने इसी स्कूल में अक्षर ज्ञान लेना शुरू किया और बाद में वे इसी स्कूल में शिक्षक बने और अब वे इस स्कूल के हेडमास्टर है। उनकी शुरू से इच्छा थी कि जिस स्कूल ने उनका कॅरियर बनाया है वही स्कूल गांव के अन्य बच्चों का भी सुनहारा भविष्य गढ़े। इसी सोच के साथ वे स्कूल को अलग तरीके से विकसित करने में जुट गए और अंतत: अपने साथियों के साथ वे कामयाब हो ही गए। आपको जानकर यह हैरत होगी कि इस वर्ष हेमेंद्र कुमार जोशी व उनकी शिक्षकों की टीम ने निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए निजी स्कूलों के फॉमूर्ले को ही अपना लिया है। उन्होंने बकायदा पम्प्लेट्स छपवाए हैं, इन पम्पलेट्स में स्कूल की सभी गतिविधियों के चित्र हैं, साथ ही स्कूल की विशेषताओं को फोकस किया गया है। जोशी व उनकी टीम गांव के हर मोहल्ले में जाकर लोगों को प्रेरित करती है कि वे अपने बच्चों को उनके स्कूल में एडमिशन दिलवाए ताकि बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके। उनके इन प्रयासों का असर भी हो रहा है। कई पालक ऐसे भी हैं जो निजी स्कूलों से अपने बच्चों को निकालकर इस प्राथमिक स्कूल में भर्ती करवा रहे हैं। वहीं स्कूल को देखकर भी कई पालक बच्चों को इस प्राथमिक विद्यालय में भर्ती करवा रहे हैं।
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