इसे झाबुआ – अलीराजपुर जिले की उपेक्षा कहे या सुषमा स्वराज – शिवराजसिंह चोहान की विफलता ?

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 अलीराजपुर से फिरोज खान “की खास पड़ताल ।

जी हां यह खबर अपने आप मे थोडी अजीब ओर कई सवाल खडे करने वाली है .. दरअसल मोदी सरकार ने ” न्यू इंडिया ” मिशन 2022 के पंच वर्षीय अभियान के लिए देश के कुल 115 ऐसे जिलों का चुनाव किया है जो शिक्षा – स्वास्थ – पोषण सहित बुनियादी आधारभूत सुविधाओं मे पिछड़े है मोदी सरकार इन जिलों को विशेष फोकस कर काय॔योजना बनाकर इन्हे न्यू इंडिया के सबसे बेहतरीन जिले 2022 तक बनाने के लिए तैयारी कर रही है इन 115 जिलों मे मध्यप्रदेश के 8 जिले शामिल है । एमपी के जिन 8 जिलों को इनमें शामिल किया गया है उनमें दमोह , विदिशा , खंडवा , राजगढ ; बड़वानी ; सिंगरोली ; गुना ओर छतरपुर शामिल है । लेकिन हैरानी इस बात की है कि आदिवासी बहुल ओर पिछड़े झाबुआ / अलीराजपुर जिले न्यू इंडिया -2022 के चयन मे सभी मापदंडों मे आने के बाद भी छोड दिये गये है ।

शिवराज ओर सुषमा पर नकारापन का ठप्पा
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मोदी सरकार के न्यू इंडिया मिशन -2022 मे एमपी के 8 जिलों मे झाबुआ / अलीराजपुर को शामिल ना कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान ओर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इलाके ” विदिशा ” को शामिल करना किसी के गले नहीं उतर रहा है । दरअसल ” न्यू इंडिया मिशन -2022 ” के लिए जिलों का चयन का आधार शिक्षा – स्वास्थ – पोषण मामले मे बदहाली ओर आधारभूत सुविधाओं जैसै सडक – बिजली ओर अन्य आधारभूत सुविधाओं मे पिछडना रखा गया था अब अगर इसी आधार पर ” विदिशा ” को चुना गया तो मतलब साफ है कि मोदी सरकार ने ” शिवराजसिंह चोहान ओर सुषमा स्वराज ” पर अघोषित रूप से यह ठप्पा लगा दिया कि विगत 2 से 3 दशक से राजनीति करने ओर विदिशा को काय॔क्षैत्र बनाने के बावजूद दोनों नेताओं ने विदिशा के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया ! इससे विपक्ष को हमलावर होने का मोका मिलेगा ओर झाबुआ / अलीराजपुर के कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया को यह बात कहने का मोका मिलेगा कि झाबुआ / अलीराजपुर का विकास उन्होंने किया है ओर खुद मोदी सरकार ने एक तरह से मुहर लगा दी है ।

लेकिन ” झाबुआ – अलीराजपुर ” के आंकड़े कहते है कि दोनों जिलों को होना चाहिए था मिशन मे
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विदिशा – खंडवा को न्यू इंडिया मिशन -2022 मे चुना जाना ओर झाबुआ निवासी अलीराजपुर जिलों को छोड दिया जाना सरकारी नियत या सर्वे की या चयन प्रकिया करने वालों अफसरों पर सवाल खडे करता है । दरअसल चयन का जो आधार बनाया गया था उनमें शिक्षा – स्वास्थ – पोषण के साथ साथ सडके ; पेयजल ; बिजली एक प्रमूख आधार था । आइये आपको हम बताते है कि आखिर झाबुआ – अलीराजपुर जिलों के साथ अन्याय क्यो हुआ है । पहले हम बात शिक्षा की करें तो 2011 की जन-गणना मे अलीराजपुर देश का सबसे निरक्षर जिला था जिसकी साक्षरता 37 % थी जबकि झाबुआ नीचे से अंतिम जिलों मे अलीराजपुर के साथ साथ खडा होकर 38 % साक्षर था इसी तरह स्वास्थ की बात करें तो झाबुआ – अलीराजपुर जिले 67% चिकित्सकों ओर 42% चिकित्सा स्टाफ की कमी से जुझ रहे है साथ ही आपातकाल स्थतिया बनने पर दोनों जिले के 91% मरीज गुजरात की रैफर किये जाते है । इसी तरह कुपोषण की बात करें तो हालात बेहद खराब है अलीराजपुर मे 52.40 % ओर झाबुआ मे 43.61 % बच्चे कुपोषण का शिकार है । अभी हाल ही भी भारत सरकार के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे – 4 के आंकड़े दोनों जिलों मे स्वास्थ ओर कुपोषण की भयावहता बताने के लिए पर्याप्त है सर्वे मे कहा गया है कि अलीराजपुर मे बच्चो के जन्म के पहले घंटे मे 25% बच्चो को स्तनपान करवाया जाता हिस्सा जबकि झाबुआ मे मात्र 21% बच्चे ही पहले घंटे मे मां का दुध पी पा रहे है । इसी तरह अलीराजपुर मे 50% तो झाबुआ मे 74 % संस्थागत प्रसव ही हो पा रहे है । इस सर्वे के अनुसार 6 माह से 23 माह के बच्चो मे से झाबुआ जिले मे महज 4.8 % तो अलीराजपुर मे 3.5% बच्चो को ही पर्याप्त पोषण आहार मिल पा रहा है । अलीराजपुर मे 15 साल से 49 साल की 64 % तो झाबुआ मे इसी आयु वग॔ की 74 किशोरिया या महिलाओं को एनीमिया है । अलीराजपुर मे मिशन इंद्रधनुष जैसै महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बावजूद भी 12 से 23 महीने के मात्र 22.6 बच्चो का टीकाकरण किया जा सका है वहीं झाबुआ मे यह आंकड़ा 25 % से आगे नहीं बडा है । सडकों की बदहाली ओर ग्रामीण अंचलो मे बिजली की कटोती ; लोड शेडिंग ओर भारी भरकम बिलों की समस्या यथावत है ।

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