आधार कैसे ओर क्यों लोगों में गुस्सा पैदा कर रहा है देखिए इस रिपोर्ट में

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चंद्रभान सिंह भदौरिया@ चीफ editor

भारत सरकार की अत्यंत महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना “आधार” पिछले करीब 1 वर्ष से निराधार हो चली है । भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार पंजीयन केंद्रों पर हो रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से आधार पंजीयन और सुधार का कार्य कर रही निजी एनरोलमेंट एजेंसीयों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उक्त कार्य बैंक और पोस्ट ऑफिस के माध्यम से करने का निर्णय लिया। जिससे कि निजी केंद्रों में हो रहा भ्रष्टाचार खत्म हो सके । किन्तु UIDAI के उक्त निर्णय ने लोगों की परेशानी में भारी इजाफा तो कर ही दिया साथ ही भ्रष्टाचार घटने के बजाए कई गुना बढ़ गया। इस निर्णय के पहले जहाँ जनता का स्थानीय स्तर पर तुरंत कार्य हो जाता है वहीं अब इस कार्य के लिए ग्रामीणों को कई-कई दिनों तक दूर-दूर तक भटकना पड रहा है जो पहले की तुलना में कई गुना खर्चीला और कष्टप्रद साबित हो रहा है। दरअसल लोगों की परेशानी और भ्रष्टाचार बढ़ाने के मूल में UIDAI का निर्णय ही है । जिसके अनुसार संचालित सभी निजी सेंटर को बंद करते हुए यह कार्य बैंक और पोस्ट ऑफिस के सुपुर्द किया गया है। आज जिलेभर में अधिकांश बैंक और पोस्ट ऑफिस जहां आधार पंजीयन का कार्य हो रहा है वे बिचौलियों की गिरफ्त में है । कई स्थानों पर बिचौलियों द्वारा प्राथमिकता से आधार पंजीयन करवाने के लिए ग्रामीणों से मोटी रकम वसूली जा रही है । जिले में कुछ सेंटर अभी भी अवैध रूप से निजी स्थानों पर संचालित हो रहे है । यह अवैध सेंटर ग्रामीणों की मजबूरी या यूं कहें कि UIDAI के अदूरदर्शितापूर्ण बेतुके आदेश का जमकर फायदा उठाते हुए ग्रामीणों से पंजीयन और सुधार के लिए सैकड़ो रुपए वसूल कर रहे है। सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारियों के संरक्षण में चल रहे इन अवैध सेंटरों पर ग्रामीणों से वसूली जाने वाली राशि का बड़ा हिस्सा जिलाधिकारियों तक भी पहुंच रहा है। निजी स्थानों पर संचालित होने वाले ऐसे अवैध सेंटर UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर भी दर्ज नहीं है ।

क्षमता 150 की बन रहे 25-30

आधार सेंटर जब निजी एनरोलमेंट एजेंसी के माध्यम से संचालित होते थे तब एक मशीन से 1 दिन में 80-90 पंजीयन/सुधार आसानी से हो जाते थे। कई मशीनों पर तो मशीन की अधिकतक सीमा 150 पंजीयन/सुधार प्रतिदिन तक भी कार्य हो जाता था किन्तु जब से आधार का “सरकारीकरण” हुआ है तब से एक मशीन पर 25-30 लोगों का ही कार्य हो पा रहा है। सूत्रों के अनुसार UIDAI ने बैंकों और पोस्ट ऑफिस के लिए 26 एनरोलमेंट प्रतिदिन का टारगेट निर्धारित किया है जो कि बेहद कम है और इसी के चलते सरकारी कार्यालय इतने ही एनरोलमेंट कर अपने कार्य की इतिश्री कर रहे है।

139 सरकारी योजनाओं में जरूरी आधार

एक ओर जहां भारत सरकार ने पिछले वर्ष करीब 139 सरकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य कर दिया है वहीं दूसरी ओर UIDAI ने आधार कार्य से निजी कंपनियों को बाहर कर दिया जिससे आधार सेंटर बेहद कम हो गए । भारत सरकार और UIDAI के इन विरोधाभासी निर्णयों ने जनता को भारी परेशानी में डाल दिया।

सरकारी कार्यालय भी कर रहे गुमराह

जिन सरकारी कार्यालयों में आधार का कार्य चल रहा है वे भी जनता और अधिकारियों को गुमराह कर रहे है । अत्यधिक भीड़ के दबाव में सरकारी कार्यालय वाले लिमिट पूरी होने और कनेक्टिविटी नहीं होने की बात कह देते है किंतु सत्यता यह है कि आधार पंजीयन और सुधार में कनेक्टिविटी की कोई आवश्यकता नही होती यह कार्य ऑफलाइन है । पंजीयन, अप्रूवल, पैकेट बनाए कर एक्सपोर्ट करने के बाद डेटा सिंक के लिए कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है वह भी कुछ मिनट के लिए ।

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