आदिवासी अंचल झोलाछाप की गिरफ्त में

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3झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सूई लगाकर मीठा बोलने की कला में महारथ हासिल करने वाले लोमड़ी की तरह चालाक आज अशिक्षितों को ठगकर डॉक्टर साहब कहलाने लगे है। पेटलावद अंचल के कई हिस्सों में बेखौफ होकर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले यह झोलाछाप लूट मचा रहे है साथ ही उनकी जिंदगियों से खेल रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। पेटलावद के सारंगी, करवड़, भाभरापाड़ा, बरवेट, बोड़ायता, मठमठ आदि स्थानों पर बड़ी संख्या में कुकरमुत्तों की तरह पनपे इन कथित झोलाछापों ने कई जिंदगियों से खिलवाड़ किया है, लेकिन मलाइदार रबड़ी मिल बांटकर खाने के कारण आज तक इन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई है।
जान से खिलवाड़ की छूट क्यों?
गरीब और नासमझ लोगों को हैवीडोज देकर शीघ्र ठीक करने का दावा करने वाले ये बंगाली अपने घरों में एक मेडिकल स्टोर जितनी दवाइयां रखते है, जिनमें अधिकांश जेनरिक तथा कॅमन हल्की स्तर की सस्ती दवाई होती है। प्रशासन इन लोगों पर अंकुश लगाना चाहता है तो सबसे पहले इन लोगों को दवाई देने वालो पर भी कार्रवाई करे तभी घटिया, हल्की और एक्स्पायरी डेट की दवाइयों से गरीबों की जान को बचाया जा सकेगा।
गरीब की जिंदगी सस्ती-
भाभरापाड़ा में कार्यरत एक बंगाली की दवाई से रतलाम जिले में एक की मौत होने पर प्रकरण दर्ज होने का मामला सामने आया है। यही नहीं सारंगी में एक को मौत की नींद सुलाने वाला कथित झोलाछाप आज भी बेखौफ एक बड़ा क्लीनिक संचालित कर रहा है। निश्चित है यह सब वह बंगाली ऊपर तक तगड़ी सेटिंग से कर रहा है, नहीं तो प्रशासन इस तरह गरीबों की जान को जोखिम में नहीं डालता।
हमने जानकारी दी है, कार्रवाई आगे से होगी
इस मामले में जब सारंगी के बीएमओ डॉ. सुरेश कटारा से चर्चा की गई तो उन्होंने स्वीकार किया की सभी दूर झोलाछाप अंगद के पेड़ की तरह अपनी जड़े जमा चुके हैं। इन पर कार्रवाई की बात को लेकर डॉ. कटारा ने दो टूक में कहा की सभी की जानकारी प्रशासन को दे दी है, इन पर कार्रवाई वही से होगी।

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