आचार्य सुनील सागर मसा के सानिध्य में संस्कार बीजारोपण

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से मंयक गोयल की रिपोर्ट-
गुरु श्रेष्ठ आचार्य सुनील सागर महाराज सत्संग संघ सानिध्य में प्रतापगढ़ की पुण्य धरा पर ग्रीष्मकालीन वासना के अंतर्गत बाल युवा श्रावक श्राविका वयोवृद्ध सभी के लिए धर्म संस्कारों के बीजारोपण हेतु सन्मति शिक्षण शिविर का प्रारंभ हुआ। शिविरार्थियों के लिए पूरा दिन घर में पीते की स्थिति इस हेतु प्रातकाल से अभिषेक पूजन शिक्षण के बाद इस इष्टोपदेश ध्वनि में आचार्य ने कहा है कि समय व समझ का एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ है। बच्चों के लिए पहली गुरु मां होती है। संसार का सबसे निकटनम सम संपन्नता समपर्णता का भरा नि:स्वार्थ रिश्ता जो सब रिश्तो से 9 माह बड़ा ही होता है। जैसे संस्कार मां के दूध से मिलता है वह शायद कोई बड़ा शिक्षक वह किताब भी नहीं दे सकते हैं वैसे मोक्ष मार्ग में सच्चे गुरु नि ग्रंथ गुरु ही है जो संसार सागर से पार होने की कला सिखाते हैं धर्म रुपी पूंजी देकर श्रावक पर महान उपकार करने वाले गुरु हमेशा सत उपदेश देते हैं। हम कितना ग्रहण कर विशुद्धि बढ़ाते हैं यह हम पर निर्भर है वास्तव में अपना आत्मा ही सबसे बड़ा गुरु है जो अपना ही जानता है मौन से शांति से अपना कार्य सिध्य कर लेता है। मारपीट जबरदस्ती किसी को भगवान नहीं बना रहे हैं अपना कल्याण चाहने वाला आत्मा स्वयं यह कदम उठाता है। विषय कसाय में डूबा आत्मा ही अपना शत्रु है वह साधना में लगा आत्मा ही अपना मित्र है। अत: जैसे जब नल आए तब पानी बन लेने में अकलमंदी है वैसे ज्ञानगंगा है बहे उसी समय उसे भर लेना चाहिए समय व अवसर का लाभ लेने यही मंगल भावना के साथ आशीर्वाद दिया।इलेक्ट्रॉनिक शॉक से घायल बंदर को स्वस्थ सचेतन किया वात्सल्य शिरोमणि आचार्य सुनील सागर महाराज ने दोपहर आहारचर्या पश्चात कक्ष में आचार्य सुनील सागर जी महाराज ही रहे थे वहां अचानक से एक बंदर को कूदकर आया वहां इलेक्ट्रॉनिक करंट लगने से वह अकडक़र रह गया उस भयानक घबराये हुए स्थिति में बेहोश से पड़े बंदर को आचार्य ने अपने कमंडल से जल दिया व णमोकार सुनाया। वात्सल्यमय स्पर्श पाकर वह उछलकर गलोट लगाकर सीधा आचार्य के चरणो में आ गया धन्य है सच्चे सतगुरु सच्चे श्रेष्ठ गुरु की अनुकंपा वह पवित्र ऊर्जा जौ प्राणी को मौत के मुंह से बाहर निकाल कर नवजीवन प्रदान करते हैं । प्राणी मात्र का कल्याण करते हैं। दिन भर सभी त्यागी गण व श्रावक बंदर को णमोकार मंत्र सुनाते रहे और सेवारत रहे।

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