अब लिपिक-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की हड़ताल ने बढ़ाई प्रदेश सरकार की मुश्किले: 13 अप्रैल से हड़ताल शुरू

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झाबुआ लाइव के लिए विपुल पंचाल की रिपोर्ट-
प्रदेश एवं जिले के समस्त लिपिक (तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी) 13 अप्रैल को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल पर रहेंगे। इस कारण प्रदेश में खलबली मची हुई है तथा सभी जिले के कलेक्टर द्वारा 24 अप्रैल तक किसी भी अवकाश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी के मद्देनजर कलेक्टर आशीष सक्सेना ने 5 अप्रैल को एक आदेश जारी करते हुए मुख्य सचिव द्वारा 3 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस में दिए निर्देशों का हवाला देते हुए कानून व्यवस्था की दृष्टि से सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कदम मात्र इसलिए उठाया गया है कि कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सके।
प्रदेश में लिपिक एक बड़ी शक्ति के रूप में कार्य करते हैं तथा एकजुट होकर उक्त हड़ताल हेतु कटिबद्ध है तथा किसी के दबाव में नहीं है। चूंकि लिपिकों के वेतन में सरकार ने एक बड़ी खाई पैदा की है। मंत्रालय के लिपिक संभाग एवं जिले के लिपिकों की मुकाबले में अधिक वेतन पे-ग्रेड प्राप्त कर रहे हैं, जो कि वर्ष 1981 से यह विसंगति चली आ रही है। साथ ही अन्य संवर्ग के कर्मचारी जो लिपिक से कम वेतन प्राप्त कर रहे हैं वर्तमान में उनका वेतन लिपिकों से भी अधिक है। किंतु लिपिकों को चपरासी से मात्र 100 रुपए पे-ग्रेड बढ़ाकर वेतन दिया जा रहा है। इसके कारण लिपिकों में काफी रोष एवं हीन भावना हो रही है। गौरतलब है कि संविदा वर्ग के कर्मचारी जो कि अभी अभी ही सेवा में आए हैं वह भी स्थाई श्रेणी के लिपिकों से अधिक वेतन प्राप्त कर रहे हैं, जो कि लिपिकों के साथ होने वाले भेदभाव को दर्शा रहा है। चूंकि 14 एवं 15 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश होने से लिपिकों की 12-13 अप्रैल को हड़ताल होने से 12 से 15 अप्रैल तक झाबुआ जिले में सभी विकासखंड, तहसील, अनुभाग एवं जिला स्तर के शासकीय कार्यालय लिपिकों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हड़ताल पर होने से शासकीय कार्यालय लगभग बंद ही रहेंगे। लिपिकों के साथ भेदभाव का एक कारण यह भी है कि शासन ने इस हेतु एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें इस वेतन विसंगति को ठीक करने की अनुशंसा की गई है, लेकिन उस कमेटी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन व अनुशंसा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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