अपना अस्तित्व तलाश रहा जीर्णशीर्ण हुआ पेटलावद का फूटा मंदिर

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इस तरह टूट-फूट चुके हैं मंदिर के अंदरूनी हिस्से
इस तरह टूट-फूट चुके हैं मंदिर के अंदरूनी हिस्से

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सांस्कृतिक रूप से झाबुआ जिला समृद्धशाली है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस सांस्कृतिक विरासत की पैरवी करने में स्थानीय जनप्रतिनिधि बेपरवाह रहे है। आलम यह है की यहां एक भी पर्यटन स्थल विकसित नही किए गए। पेटलावद में फूटा मंदिर के नाम से पहचाने जाने वाली ऐतिहासिक धरोहर है जिसे पर्यटन स्थल के रूप में सरंक्षित कर विकसित करने की मांग वर्षो से की जा रही है, जबकि यहां की संस्कृति राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। पेटलावद क्षेत्र के एक ही नहीं कई ऐसी पुरातात्विक धरोहरे है जो अपने आप में कई अनसुलझी गुथियां समेटे हुए है। पम्पावती नदी के तट पर पाषाण पत्थरों से बना फूटा मंदिर जीर्णशीर्ण होता जा रहा है। वर्षो से नागरिकों की आस्था का केंद्र की वर्तमान में कुछ श्रद्धालुओं द्वारा इसकी देखरेख की जा रही है। इसके लिए किवदंती है कि यहां कोई यति इसे अन्यत्र स्थान से उड़ाकर लाया तथा इस स्थान पर विराजित कर दिया। आज तक इसके इतिहास के बारे में कोई तथ्यात्मक जानकारी नही दें पाया है।
श्रद्धालु होते है परेशान
मंदिर पर आने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिये मंदिर का जीर्णशीर्ण होना परेशानी उत्पन कर रहा है। बरसात के दिनों में मंदिर में पानी भी टपकता है। इस स्थान के लिए प्रशासन को ध्यान देकर इसे संरक्षित करने के उपाय तलाशना होंगे।

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