रायपुरिया से लवेश स्वर्णकार की रिपोर्ट
कहते जिसके पास कला आर्ट हो वो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता हे इसी कला और आर्ट के जरिये रायपुरिया से महज 4 किमी की दुरी पर बसे छोटे से ग्राम बनी में कुम्हार समाज का एक अपंग अनपढ़ कैलाश प्रजापत नामक व्यक्ति अपनी कला के जरिये एक पैर से जन्म से अपंग होने के बावजूद अपने हाथो से मिटटी से तरह तरह की सामग्री बनाकर उन्हें बाजार में बेच कर अपना घर चला रहा हे इसके परिवार में इसकी पत्नी और दो बच्चे हे बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ साथ उनकी सारी जिम्मेदारी को निभाने वाला ये अपंग कैलाश अपनी कलाकृति से मिटटी को आकृति देकर तरह तरह के डिजाइन में दीपक गुल्लक मटके सुराई धुपाना आदि बनाकर अपना रोजगार चलाता हे ।कैलाश अपंग तो हे ही अत्यंत गरीब भी हे फिर भी जितना ये अपनी कला से काम कर सकता हे करता हे पति अपंग हे उसके पास कला हे कला से वो मिटटी की विभिन्न कलाकृति बनाता हे और उसकी पत्नी जरुरत होने पर इन कलाकृति को बचने बाजारों में भी जाती हे ।
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