झाबुआ। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने भाजपा और उसके मातृसंस्था आरएसएस को कड़ी चेतावनी दी है कि वे देश के आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने के अपने राजनैतिक प्रपंचों कों बंद करे। देश के करोड़ो आदिवासियों अपने अधिकारों के साथ किसी प्रकार की छेड़खानी को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। फिर चाहे इन प्रपंचो के पीछे कितनी ही बड़ी ताकते क्यों न हो ? उन्होंने कहा कि आरएसएस के संघ संचालक मोहन भागवत ने सरकारी नोकरियों और तकनीकी पाठ्यक्रम में अनुसूचित जनजातियो के लिए रखे गए आरक्षित कोटे को समाप्त करते हुए वकालत करते हुए जाहिर कर दिया है कि आरएसएस और उसके राजनैति संस्करण भाजपा समाज के सभी कमजोर वर्गाें की विरोधी है। यह दोनो संगठन नहीं चाहते कमजोर वर्गो की बराबरी में खडे होकर राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बने।
आदिवासियो को नहीं दी जा रही सुविधाएं
भूरिया ने बयान में आरएसएस की आदिवासी विरोधी, ओछी मानसिकता की कडी निंदा करते हुए कहा है कि आरएसएस और बीजेपी की सदियों से पिछडे आदिवासियों की प्रगति फूटी आंखों नही भा रही है। आदिवासियों को आरक्षण आदि की सुविधाएं सरकार द्वारा नही दी जा रही है वे किसी पार्टी अथवा सरकार की उन पर मेहरबानी नहीं है। यह सुविधाएं तो उन्हें भारतीय संविधान ने दी है। अपने कहा कि वर्तमान में केन्द्र में भी आरएसएस के इशारों पर चलने वाली भाजपा की सरकार है। भाजपा की सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की, वह आरएसएस के दिशा-निर्देश के मुताबिक ही चलती है। मोहन भागवत की इस निंदनीय पहल से यह जाहीर होता है कि भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार आदिवासियों एवं दलीतों के संवेधानिक अधिकारों को छीनने के गुप्त ऐजेंडे पर काम कर रही है। भूरिया ने कहा कि भाजपा एवं आरएसएस ने हमेशा आदिवासियों, दलितो एवं गरीबो का शोषण किया है। पिछले 10 वर्षाें में आदिवासियो के विकास के लिए न तो कोई ठोस योजना बनाई गई और न ही कोई ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के लिए छात्रावास खोले गए तथा पहले से रह रहे छात्रों को बेदखल करने की कोशिश की गई। आदिवासी, दलीतों एवं गरीब छात्रों को मिलने वाली राशि में करोड़ो रूपये का घोटाला हुआ किंतु सरकार पूरी तरह से मुकदर्शक बनी हुई है। भाजपा हमेशा साहुकारों एवं पूंजीपतियों के विकास के लिए कार्य करती रही है। वरिष्ठ आदिवासी नेता सुश्री कलावती भुरिया, डाॅ विक्रांत भूरिया, महेश पटेल, सरदारसिंह पटेल, हर्ष गेहलोत, वीरसिंह भूरिया, वालसिंह मेडा, जेवियर मेडा, रतनसिंह भाबर, रूपसिंह डामोर, हेमचंद्र डामोर, विजय भाबोर, आशीष भूरिया, विनय भाबोर आदि नेताओं ने कहा है कि आदिवासी लोग भारत की संस्कृति और गरिमा की असली पहचान है। ये भी आजादी के बाद देश के निर्माण में अन्य वर्गाें के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहें है। संवैधानिक अधिकारों की मदद से वो ताकत्वर बन कर राष्ट्र निर्माण में अधिक योगदान देने के लिए तैयार हो रहे है। आपने चैतावनी दी है कि पूंजीपति एवं शोषक तत्वों की भलाई के लिए पूरी तरह समर्पित आरएसएस एवं बीजेपी की सरकार ने आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर डाका डालने का दुःसाहस किया तो देश के आदिवासी उसका बडा प्रतिकार करेंगे और इन दोनों के मंसूबों को सफल नहीं होने देंगे।
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