जितेंद्र वाणी@ नानपुर
नानपुर इलाके के उम्दा गांव का रहने वाले 40 साल का हीरू पिता रेवला की आज सुबह 5 बजे लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। यह वही हीरू है जिसे नानपुर के झोलाछाप बंगाली मूल के डॉक्टर ने इलाज के बहाने 120 बॉटल व 45 इंजेक्शन लगाकर 45 हजार रुपए वसूले थे तथा 35 हजार रुपए की दवाइयां भी उसे दी थी। इस झोलाछाप के इलाज के बावजूद भी हीरू की तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था। ऐसे में अलीराजपुर लाइव ने हीरू का एक वीडियो इंटरव्यू कर अलीराजपुर जिला मुख्यालय से महज 14 किमी दूर नानपुर इलाज के स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोली थी। साथ ही झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा की जा रही अवैध वसूली का भी खुलासा किया था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा ने मामले में संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग का एक दल भी भेजा था जिसने औपचारिक रूप से एक-दो जगह छापेमार कार्रवाई की तथा दवाइयों को भी जब्त किया था। इतना नहीं माइनर सर्जरी करने वाले उपकरण भी बरामद हुए थे, लेकिन बाद में राजनेताओं के दबाव में अधिकारियों ने भी रहस्मयी चुप्पी धारण कर ली थी।
दावे के बावजूद नहीं किया हीरू का इलाज-
अलीराजपुर लाइव के इस खुलासे के बाद कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अमले को हीरूसिंह का इलाज करने को कहा था। शुरुआत तो इलाज की गई, लेकिन मृतक हीरूसिंह ने अपने परिजनों को बताया था कि जिला चिकित्सालय समेत सरकारी अस्पतालों में उसे इलाज के नाम पर बुलाया तो जाता है, लेकिन घंटों बिना इलाज के बैठा दिया जाता था। नतीजा परेशान होकर पुन: इन्हीं झोलाछापों के यहां पर इलाज करवाने को मजबूर हुआ था और अंतत: झोलाछापों के हाथों से ही उसे मौत नसीब हुई। इस पूरे घटनाक्रम पर हम सिर्फ यहीं कहेंगे कि यह सरकारी सिस्टम हीरू जैसे लोगों को सम्मानजनक जीवन देना तो दूर गरिमामय मौत भी नहीं दे सका।
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