अहंकार को त्याग कर निर्मल ह्रदय से क्षमा करना सच्ची तपस्या : चारित्रकलाजी

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
राणापुर। चातुर्मास के लिए विराजित साध्वी चारित्रकलाश्रीजी आदिठाणा 5 के दर्शनार्थ जावरा-आलोट से श्रीसंघ यहां आए। शानिवार शाम को जावरा से आये संघ में लगभग 250 यात्री थे। सुबह आलोट से आए संघ में 160 यात्री शामिल थे। संघ ने साध्वी मंडल के दर्शन वंदन कर क्षमा याचना की। अपने प्रवचन में साध्वी चारित्रकला श्रीजी ने मिच्छामि दुक्कड़म की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि अहंकार को त्याग कर निर्मल ह्रदय से क्षमा मांगना व उससे भी बढ़कर क्षमा करना है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म क्षमा को सबसे अधिक महत्व देता है। श्रावक के 5 आवश्यक कर्तव्य में इसे बीच में रखा गया है। क्षमापना कर लेने से अमारी परिवर्तन, साधर्मिक भक्ति, तप व चैत्य परिपाटी के कर्तव्य स्वत: पूरे हो जाते है। उन्होंने कहा कि पर्युषण में की गई धर्म आरधना का क्रम पर्युषण के साथ ही बंद न हो बल्कि सालभर चलता रहे। संचालन करते हुए कमलेश नाहर ने चातुर्मासिक गतिविधियों का ब्योरा दिया। चातुर्मास समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सियाल व चन्द्रसेन कटारिया ने स्वागत भाषण दिया। सुरेश समीर ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। आलोट श्री संघ की ओर से अशोक भंडारी ने अपने उद्बोधन में चातुर्मास का लाभ मिलने पर रानापुर श्रीसंघ को बधाई दी। उन्होंने साध्वीश्री से आगामी चातुर्मास आलोट में किये जाने की विनती की। आलोट श्रीसंघ अध्यक्ष विमल जैन का बहुमान मांगीलाल सकलेचा, मुकेश हरण, रमण कटारिया, प्रदीप भंसाली ने किया। आलोट श्रीसंघ की ओर से राजेन्द्र सियाल व श्रीसंघ सचिव प्रदीप भंसाली का बहुमान 11 संघपतियों ने किया। जानकारी मीडिया प्रभारी कमलेश नाहर, ललित सालेचा ने दी।

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