झारखंड के उलीहातू से झाबुआ जिले में पहूँची आदिवासी सुरक्षा यात्रा का हुआ स्वागत

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गुजरात राज्य के सामाजिक कार्यकर्ता राजूभाई वलवई एवम् केतनभाई बामनिया के नेतृत्व में 20 सदस्यीय आदिवासी सुरक्षा यात्रा का शुभारंभ विगत 9 अगस्त को क्रांतिसूर्य भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थान झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातु गाँव से आदिवासी महापुरूषों के राष्ट्रवादी प्रेरक विचारों के साथ हुआ है । जो कि देश के 6 राज्यों झारखंड , छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के आदिवासी अनुसूचित क्षेत्र से होकर गुजर रही है । यात्रा का मूल उद्देश्य आदिवासी वर्ग के समुदायजनों पर हो रहे अत्याचारों से समाज को मुक्ति दिलाने के लिऐ संवैधानिक रूप से सशक्त-आत्मनिर्भर बनाना । इस हेतू आदिवासी सुरक्षा यात्रा के माध्यम से आदिवासी वर्ग के विभिन्न समुदायों में एकता स्थापित करने के लिऐ वैचारिक ऐकीकरण, सांस्कृतिक शुद्धिकरण , सामाजिक राजनीतिक जागरूकता तथा देश में सामाजिक समरसता का निर्माण करना है ।ताकि विभिन्न स्तरों से बिखरे हुऐ आदिवासी वर्ग को एकता के सूत्र में संगठित किया जा सके ।ताकि आदिवासी वर्ग के सभी समुदाय आत्मनिर्भर बनकर अपना सर्वांगीण विकास कर सके ।
इन्हीं उद्देश्यों के साथ निकली आदिवासी सुरक्षा यात्रा ने दिनांक 22अगस्त को रतलाम जिले से रानीसिंग माही नदी के रास्ते झाबुआ जिले में प्रवेश किया । जिनका आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया ।रात्रि विश्राम ग्राम गुणावद स्थित ईमलीपाड़ा में किया गया ।दिनांक 23 कि सुबह 9 बजे से यात्रा पुनः प्रारम्भ हुई जो कि मठमठ , हथनीपाड़ा , सारंगी , करड़ावद , रामगढ़ , छायण पश्चिम, बामनिया होती हुई थांदला तहसील में प्रवेश हुई ।इस दौरान हथनीपाड़ा स्थित शहीद टंटियाभील की प्रतिमा , छायण स्थित शहीद बिरसा मुंडा की प्रतिमा तथा बामनिया स्थित वीर पूंजाभील की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवम् दर्शन किऐ ।
यात्रा का जगह- जगह पूष्पहारों से स्वागत किया गया । यात्रा के स्वागत में इंजिनियर बालूसिंग गामड़ जयस जिला प्रभारी कांतिलाल गरवाल, सचिन गामड़, दशरथ बरिया, सुरेश भाभर खुशाल भाभर,एवं क्षेत्र के समस्त युवा साथी उपस्थित रहें!

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