मैनेजमेंट केस स्टडी बन रहा है हलमा; 40 हजार लोगों के लिए व्यवस्था निर्माण, हो रही हैं तैयारियाँ, बनेगी एक टेंट सिटी

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विपुल पांचाल@झाबुआ Live 

25-26 फरवरी को गोपालपुरा हवाई पट्टी की और हाथीपावा पहाड़ी पर होने वाले हलमा उत्सव में 40 हज़ार ग्रामीणों समेत 5000 अतिथि शामिल रहेंगे। इन अतिथियों में विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता, उद्योग जगत और शासन प्रशासन समेत अनेक विशिष्ठ अतिथि शामिल रहेंगे।
इस विशाल आयोजन हेतु व्यवस्थाओं का निर्माण भी 1 महीने पहले से प्रारंभ हो जाता है।

आवास हेतु बन रही है टेंट सिटी
शिवगंगा के महाप्रबंधक सतीश अमलियार व भँवर सिंह भयड़िया बताते हैं कि, बाहर से आने वाले अतिथियों हेतु एक टेंट सिटी का निर्माण हो रहा है जिसमें विद्यार्थियों के लिए 20 डोरमेट्री टेंट हैं। 150 स्विस कॉटेज अटैच्ड शौचालय के साथ रहेंगे, जिनमें 2-3 अतिथि रुक सकेंगे। इनके अतिरिक्त 30 महाराजा टेंट रहेंगे जिनमें 4 अतिथि व एक परिवार रुक सकता है। वेबसाइट के माध्यम से इसका सशुल्क पंजीयन किया जा रहा है।

2000 वाहनों हेतु बन रही है पार्किंग व्यवस्था। 40000 लोगों के बैठने व ठहराने के लिए एक विशाल पांडाल और 200 अस्थायी शौचालयों का निर्माण हो रहा है। भोजन बनाने के लिए व्यवस्था का निर्माण हो रहा है। 40 हज़ार लोग करेंगे 4 समय का भोजन।

*यह रहेगा हलमा कार्यक्रम*
25 फरवरी को दोपहर 12 से 4 बजे तक आगमन,
शाम को धरमसभा और रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम रहेंगे।
26 को प्रातः धरमसभा के बाद, नाश्ता के पैकेट के साथ 8 बजे हलमा करने हाथीपावा पर चढ़ेंगे। 12 से 1:30 समापन सभा के पश्चात भोजन करके सभी लोग अपने गाओं में प्रस्थान करेंगे।

*बन रहा है मैनेजमेंट केस स्टडी*
शिवगंगा प्रवक्ता विजेंद्र अमलियार बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष, हलमा में प्रबंधन पक्ष की बारीकियों को कम्युनिकेशन को समझने लोग आते हैं। इतने सुदूर गाँव के घर-घर निमंत्रण किस प्रकार पहुँचता है, सभी को अपने कलर कोड ध्यान रहते हैं। हाथीपावा पहाड़ी पर भी अलग-अलग रंग के झंडे रहते हैं। सभी लोग अपने विकास खंडों के कलर कोड के अनुरूप कार्य करते हैं। व्यवस्थाएं भी सामाजिक सहयोग से निर्माण होती है। गाँव के लोग व्यवस्था विभाग के लिए कार्यकर्ता भेजने के साथ, गाँव में ही लकड़ियाँ एकत्रित कर रहे हैं। और अपने निजी ट्रेक्टर व टैंकर भेज रहे हैं।

*देखने लायक होता है अनुशासन*
हलमा में इतनी बड़ी सँख्या में लोग शामिल होकर नगर से गैंती यात्रा निकालते हैं, 2 दिन साथ में रहते हैं, नहीं हुई कोई घटना-दुर्घटना। इतनी विशाल सँख्या में भी होता है समय पालन।

वर्ष 2020 में हुए हलमा में शामिल रहे इंदौर के जी.एस.आई.टी.इस इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. मिलिंद दांडेकर जी अपनी अनुभूति साझा करते हुए बताते हैं कि “उस दिन मैंने जो कुछ देखा वो अद्भुत था, हज़ारों लोगों को स्वप्रेरणा से कार्य करते हुए देखा, ये हमारी थ्योरीयों से कईं आगे है, हम किसी इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट में इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। एक दूसरे को नहीं जानने के बावजूद भी सबको सूचना हो जाती है, और इतने सुदूर गाँव से हलमा में शामिल होने आते हैं। इतना अच्छा कम्युनिकेशन मॉडल हमने नहीं देखा।”

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