भगोरिया पर्व की शुरुआत हुई, आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मेले का लुत्फ लेने पहुंचे ग्रामीण

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संजय गांधी, बोरी

बुधवार को बोरी में लगे भगेारिया मेले में बोरी एवं आसपास के इलाको से हजारों की तादात में ग्रामीण पहुंचे। आदिवासी समाज के बच्चो ,युवक, युवतियों एवम बुजुर्गो ने प्राचीन काल से चले आ रहे परंपरागत भगोरिया पर्व को धूम- धाम से मनाकर होली पर्व के पूर्व क्षेत्र में मनाए जाने वाले  भगोरिया मेले की शुरुआत कर दी ।

आदिवासी क्षेत्रों में होली के एक सप्ताह पहले से जिस गांव में जिस दिन हाट होता है वहां उस दिन यह “भगोरिया मेला” मनाया जाता है। लोग इस दौरान लगने वाले हाट में होलिका पूजन की सामग्री भी खरीदते है। भगोरिया हाट मेले में युवक युवतियां आकर्षक वस्त्र पहनते हैं। महिलाएं और युवतियां आदिवासी समाज की पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहनती हैं वही युवक भी आधुनिकता एवम आदिवासी संस्कृति के मिलजुला रूप दिखते है।

पर्व भगोरिया पर्व के दौरान आदिवासी समाज के लोग मस्ती में झूमते हैं, बड़ी-बड़ी ढोल, मांदलों को बजाते हुए बांसुरी और थाली की धुन पर हर कोई मदमस्त होकर अपना पारंपरिक नृत्य करता दिखता है। ढोल मांदल के आसपास गोल घेरा बनाकर नाचते और कुर्राटी भरते लोगो को देखकर भगोरिया उत्सव का उल्लास दूना हो जाता  हैं। भगोरिया के दौरान विशेषकर क्षेत्र में व्यंजन के तौर पर मिर्ची के भजिया और शक्कर की जलेबी और माजम, काकनी जैसी परंपरागत मिठाइयों के साथ ही आधुनिक मिठाइयां भी की  खूब बिकती है। भगोरिया पर्व होलिका की पूजा के लिए विशेष पूजन सामग्री के लिए आयोजित किया जाने वाला आदिवासी समाज का पारंपरिक हाट है जिसमे समय के साथ राजनीतिक हस्तियों के शक्ति परीक्षण का भी केंद्र भी बनते देखा जा रहा है । राजनीतिक नेताओं के द्वारा इस दिन गैर के रूप में अलग अलग पार्टियों की गैर भी निकाली जाती है।

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