मनुष्य आर्थिक रूप से भले गरीब हो सकता पर वैदिक संस्कार, व्यवहार से गरीब नही है

0

धर्म रक्षक सेवा समिति द्वारा प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी भगवान श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के पांचवे दिन बाल्य हनुमानजी महायज्ञ किया जाता है जिसमे ग्रामीण द्वारा सभी बड़ चढ़ कर भाग लेते है।

आज कथा व्यास पीठ आचार्य महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी श्री श्री प्रणवानन्द जी सरस्वती महाराज व्रन्दावन द्वारा किया जा रहा है कथा में स्वामी जी ने कहा गया कि मनुष्य आर्थिक रूप से भले गरीब हो सकता पर वैदिक संस्कार, व्यवहार से गरीब नही है। हम सब को आदिवासी सब्द अंग्रेज द्वारा थोपा गया शब्द है, हम तो वनों में रहने वाले वनवासी है, हमारे पूर्वज तो जब जब भगवान का जन्म हुवा तब तब भीलों ने भगवान की सेवा करी ओर उनके साथ विपरीत प्रितिथि में भगवान के साथ खड़े रहे वह भील है। सनातन हिन्दू धर्म बहुत महान धर्म है, वाल्मीकि भील की गाथा बताई वह भी भील था उसने राम भगवान का जन्म नही हुवा उससे पहले रामायण लिख दी l ऐसे भी महान ऋषि रहे, कथा के पश्चात रोज 4 से पांच हजार राम भक्तो द्वारा महाप्रसादी ग्रहन करते है । यह जानकारी धर्म रक्षक के सयोंजक वालसिंह मसानिया ने दी। आयोजक केसर भूरिया, करन भूरिया, विमला खपेड, राहुल बारिया, मांगीलाल भूरा आदि कार्यकर्ता का योगदान रहता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.