CSR को अस्तित्व मित्र बन पार्टनर इन चेंज की भूमिका में आना होगा

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विपुल पांचाल@झाबुआ

G 20 में ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता करेगा।
ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। G20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है।
G 20 के साथ विभिन्न सिविल-20 (Civil -20) 2013 में शुरू किया गया, इसमें आर्थिक के साथ सामाजिक मुद्दों पर भी विमर्श के लिए कार्यक्रम चलाये गये ।
इस वर्ष भारत G 20 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसमे C-20 के अलग अगल समिट अलग अलग शहरों में आयोजित हो रहे है, उसी कड़ी में “सेवा समिट” का आयोजन भोपाल में 1 ओर 2 जुलाई को हो रहा है
सेवा समिट में कंपनी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के “माध्यम से समृद्धि” विषय पर पैनल चर्चा में पदमश्री अशोक भगत, विकास भारती के संयोजक श्याम जी परांडे, सेवा इंटरनेशनल के संयोजक के साथ मंच साझा करते हुऐ शिवगंगा राजाराम जी ने कहा कि CSR को अस्तित्व मित्र बन पार्ट्नर इन चेंज की भूमिका में आना होगा। जब कॉरपोरेट सोशल के सीएसआर की टीम को ग्रामीणों में जाकर छोटी-छोटी संस्थाओं को खोजना होगा।
शिवगंगा की कार्य पद्धत्ति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान समय मे संवर्धन से समृद्धि एवं परमार्थ आधारित विकास ही सस्टेनेबल डेवलपमेंट का आधार बनेगा।

एक 2 जुलाई को भारत का ह्रदय मध्यप्रदेश में सेवा सेंस ऑफ सर्विस फिलॉन्थेरेपी एंड वोल्लंटीरिज्म विषय को लेकर G20 का आयोजन भोपाल में सम्पन्न हुआ,, शिवगंगा झाबुआ के राजाराम कटारा मंच साझा करते हुए बताया कि कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी ,,के माध्यम से सामाजिक संस्था को चैरिटी के बजाए समृद्धि के लिए पार्टनर्श इन चेंज की भूमिका में आना होगा, छोटे छोटे संस्थानों तक पहुंच बढ़ानी होगी,, कटारा ने विगत 25 वर्षों से शिवगंगा झाबुआ द्वारा सर्वांगीण ग्राम समृद्धि के अनुभवों को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर साझा किये,, शिवगंगा झाबुआ द्वारा संवर्धन से समृद्धि के मॉडल को भी लोगों ने सराहा,, हलमा के रूप में झाबुआ की पहचान राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति फैल रही है,, जल, जंगल ,जमीन, जानवर, जन्, नव विज्ञान के संवर्धन से ही समृद्धि आ सकती है ,, शिवगंगा झाबुआ द्वारा सामाजिक उद्यमिता की प्रदर्शनी भी लोगों ने देखी।

 

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