झाबुआ जेल में कैदियों के लिए ‘नंदी’ संबोधन की नई पहल: चार दिवसीय धार्मिक आयोजन का गरिमामय समापन

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झाबुआ डेस्क। झाबुआ जेल परिसर में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग और जेल प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम का आज गरिमामय समापन हो गया। इस अनूठी पहल ने जेल में बंदियों के बीच सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार किया, खासकर ‘बंदी’ शब्द के स्थान पर ‘नंदी’ संबोधन की शुरुआत ने एक नई सामाजिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया है।

आध्यात्मिक गंगा और हनुमत कथा का प्रवाह

प्रातः 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक चले इस आयोजन में लगातार चार दिनों तक बंदियों के बीच श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का प्रवाह हुआ। इसके साथ ही, हनुमान कथा का आयोजन भी बड़े ही आत्मीय भाव के साथ सुना गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बालाजी सरकार गडावड़ियां धाम के प्रसिद्ध आचार्य श्रीधर बैरागी जी ने किया, जबकि समापन इंदौर से पधारीं पूजनीय आचार्य शिव प्रीति गुरु माँ के द्वारा किया गया।

समापन समारोह में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति

समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जेल अधीक्षक डी.के. पगारे उपस्थित रहे। उनके साथ सामाजिक महासंघ एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल आयोग के यूथ सेल के संभाग अध्यक्ष डॉ. नीरज सिंह राठौड़, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एम.एल. फुलपगरे, पी.डी. रायपुरिया, शिवपुरी जेल अधीक्षक रमेश आर्य, रमेश शर्मा, डॉ. अन्नू भाबर और जेलर सुधीर खरे सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

अतिथियों का स्वागत आयोग और जेल स्टाफ द्वारा पारंपरिक गमछे और मोतियों की माला से किया गया। सभी उपस्थित अतिथियों ने इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इसे बंदियों के सुधार की दिशा में एक ‘सुनहरा प्रयास’ बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन सामाजिक क्रांति की ओर अग्रसर करेंगे और इनमें सुधार के नए आयाम लिखे जाएंगे।

बंदियों को मिला नया नाम: ‘नंदी’

कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण और हृदयस्पर्शी क्षण वह था जब व्यास पीठ से आचार्य गुरु माँ ने बंदियों को एक नया और गरिमामय नाम “नंदी” दिया। इस अभिनव पहल पर जेल अधीक्षक श्री पगारे ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए मौखिक आदेश जारी किया कि अब रूटीन में ‘बंदी’ शब्द का इस्तेमाल न करके उन्हें ‘नंदी’ के रूप में संबोधित किया जाएगा। केवल पत्राचार आदि में ही ‘बंदी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। इस घोषणा से उपस्थित सभी ‘बंदी नंदियों’ में एक अलग ही तरह का उत्साह और ऊर्जा देखी गई, जो उनके भीतर एक नई पहचान और सम्मान की भावना जगा गई।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और सम्मान

इस अवसर पर डॉ. एम.एल. फुलपगरे और पी.डी. रायपुरिया ने अपनी कविता पाठ और एक सुंदर निमाड़ी गीत प्रस्तुत कर उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया। कार्यक्रम में दोनों कथावाचकों, आचार्य श्रीधर बैरागी जी और आचार्य शिव प्रीति गुरु माँ को आयोग एवं जेल प्रशासन की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग मध्य प्रदेश की इकाई ने भी जेल अधीक्षक डी.के. पगारे सर को उनके परस्पर सहयोग और कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अभिनंदन पत्र भेंट किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अशोक बलसोरा ने किया और आभार डॉ. एम.एल. फुलपगरे ने व्यक्त किया। इस पूरे आयोजन में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के पदाधिकारी और जेल स्टाफ के कई सदस्य उपस्थित रहे, जिन्होंने इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन झाबुआ जेल के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो बंदियों के मानवीय सम्मान और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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