क्या बदलेंगे झाबुआ विधानसभा के सियासी समीकरण , कांग्रेस के साथ BJP में भी घमासान के आसार

0

चंद्रभान सिंह भदौरिया – झाबुआ

चुनावी साल – यानी 2023 शुरू हो चुका है .. इस साल में झाबुआ जिले की राजनीति में बहुत कुछ अलग होते दिखाई देगा .. बात अगर झाबुआ विधानसभा क्षेत्र की करें तो कांग्रेस ओर बीजेपी दोनों के बीच कडा मुकाबला होने के आसार हैं ओर जयस को लेकर चर्चा है कि वह आम आदमी पार्टी की टिकट पर या स्वतंत्र होकर चुनाव में उतरेगी .. कामयाबी कितनी मिलेगी यह अलग विषय है ..

कांग्रेस में अंतर्द्वंद्व चलेगा

कांग्रेस में मौजूदा विधायक कांतिलाल भूरिया चुनाव मैदान में उतरेंगे या डा विक्रांत भूरिया ? या जैवियर दांव मारेंगे या युवा मैदानी चेहरा विजय को टिकट मिलेगी !! कांग्रेस के टिकट को समझने के लिए 2019 उपचुनाव की तस्वीर भी समझना पड़ेगी .. 2019 उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया को टिकट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था ..एक बार तो कमलनाथ ने मामला लगभग उलझा दिया था लेकिन अंत में दिग्विजय सिंह के हस्तक्षेप के बाद कांतिलाल भूरिया का टिकट हुआ था और भुरिया जीते .. लेकिन इस दौरान प्रचार के दौरान बोरी में दिग्विजय सिंह ने एलान कर दिया था कि आप लोग कांतिलाल भूरिया को आशीर्वाद दीजिए क्योंकि यह उनका अंतिम चुनाव है .. हालांकि जब दिग्विजय सिंह यह घोषणा कर रहे थे तब कांतिलाल भूरिया असहज या सहमत नहीं दिखे थे .. खैर अब अगर दिग्विजय सिंह की उस घोषणा की मानें तो कांतिलाल भूरिया शायद विधानसभा चुनाव ना लडे लेकिन वह इस शर्त पर ही मानेंगे कि उनके बेटे ओर युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर विक्रांत भूरिया को ही टिकट दिया जाये.. ओर विक्रांत भूरिया ने युवक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के रुप में मेहनत तो की है अच्छा काम भी किया है लेकिन झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में उनकी सक्रियता अभी बेहद कमजोर मानी जाती है .. जैवियर मैडा हमेशा की तरह टिकट के लिए अंतिम समय तक किला लड़ायेंगे.. अब कांग्रेस आलाकमान को तय करना है कि कैसे यह मामला आसानी से डील करे

बीजेपी की राह भी आसान नहीं

मध्यप्रदेश की सत्ता में बैकडोर से काबिज हुई बीजेपी को भी झाबुआ विधानसभा उम्मीदवार तय करने मे कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी .. विगत विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने यहां एकदम से सभी को चौकाते हुए रिटायर नौकरशाह गुमानसिंह डामोर को टिकट दिया जिनको टिकट देने को लेकर खुद भाजपा में जमकर विरोध हुआ लेकिन डामोर ने लगभग सभी को चौंकाते हुए भीली बोल बोलकर ओर अपने माइक्रो मैंनेजमेंट के जरिए ना सिर्फ चुनाव जीता बल्कि सभी को अंचभित कर दिया .. हालांकि कांग्रेस के विक्रांत भूरिया अपनी हार की वजह बागी के रूप में खड़े जैवियर मैडा को मानते थे .. अब उपचुनाव 2019 की बात करें तो बीजेपी ने कांतिलाल भूरिया के खिलाफ युवा भानू भूरिया को मैदान में उतारा .. कांतिलाल भूरिया अकेले नहीं बल्कि कमलनाथ सरकार चुनाव लड रही थी इसलिए भानु भूरिया को पराजय का सामना करना पड़ा.. लेकिन भानु को बीजेपी का कोर वोट करीब 65 हजार जरूर हासिल हुए .. भानु समर्थक मानते हैं कि कुछ बीजेपी नेता भी उनके खिलाफ काम कर रहे थे .. अब वही भानु भूरिया बीजेपी जिलाध्यक्ष है ओर 2023 विधानसभा चुनाव के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं हालांकि उनकी पार्टी में मौजूद उनके विरोधी यह मानते हैं कि संगठन ने जिलाध्यक्ष बनाकर ओर उनकी पत्नी को ITDP का अध्यक्ष बनाकर उन्हें 2023 के टिकट से दुर कर दिया है भानु भूरिया के अलावा बीजेपी में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है जिनमें सोमसिंह सोलंकी , शैलेन्द्र सोलंकी , सुनिता गोविंद अजनार , कल्याण सिंह डामोर आदि शामिल हैं ।

यह मुद्दे होंगे चुनाव में

झाबुआ विधानसभा के चुनाव में जो मुद्दे महत्वपूर्ण होने वाले हैं उनमें विधानसभा क्षेत्र में नर्मदा का जल पास से पाइप लाइन गुजरने के बावजूद रानापुर – झाबुआ – कुंदनपुर इलाके में ना पहुंचना .. दाहोद – इंदौर रेल्वे लाइन में देरी .. इलाके में रोजगार की किल्लत के चलते पलायन ,. जिला मुख्यालय पर मेडीकल कॉलेज ना होना .. एग्रीकल्चर कालेज का अभाव .. आदि प्रमुख होंगे

Leave A Reply

Your email address will not be published.