सम्हालना एक तपस्या हैं सम्भलना एक कला हैं : राष्ट्रीय संत श्री असंग महाराज

May

चंद्रशेखर आजाद नगर। सम्भालना एक तपस्या हैं| सम्भलना एक कला हैं| जीवन में स्वयं को सम्भालना जरूरी हैं| जीवन में व्यक्ति को स्वयं का बोध होना जरूरी हैंकि मैं कौन हूं, यह जानना जरूरी हैं| संत सेवा सबसे बड़ी सेवा हैं|

यह बात कमल अजनार भक्त मंडल,बिलझर द्वारा राष्ट्रीय संत श्री तेजस्वी असंग महाराज के द्वारा चंद्रशेखर आजाद नगर में आयोजित संत्सग में उपस्थित सैकडो़ं की संख्या में उपस्थित भक्तों से सत्संग प्रवचन के दौरान कही| संत श्री ने कहा संत्संग के बिना विवेक नहीं आता हैं|सेवा का मार्ग चाहे कैसा भी हो सेवा से करने से जीवन में उन्नति का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जाता हैं| जीवन में ज्ञान यज्ञ सर्वश्रेष्ठ यज्ञ हैं| इंसान जब भी गुरु से मिले तो दान तो दे लेकिन साथ में अवगुण का भी दान जरूर करें अर्थात् एक बुराई अवश्य छोड़े|

सत्संग पूर्व संत श्री असंग महाराज एवं काछला वाले सेवानंदजी महाराज व अन्य संतो का स्वागत सांसद प्रतिनिधि व पूर्व विधायक माधौसिंह डावर,नगर पंचायत अध्यक्ष निर्मला डावर,उपाध्यक्ष नारायणलाल अरोडा़,विधायक प्रतिनिधि भूपेन्द्र डावर,डाक्टर राजाराम पाटील,कमल अजनार भक्त मंडल,पत्रकार यशवंत जैन,सुरेश माहेश्वरी,विजय जैन,धर्मेन्द्र जायसवाल सहित नगर के गणमान्य नागरिकों द्वारा पुष्पमाला एवं गुरू आरती वंदना के साथ किया गया| स्वागत अभिनंदन कार्यक्रम का संचालन हेमेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया| संत श्री व उपस्थित भक्तों का आभार कलमसिंह मित्र मंडल द्वारा व्यक्त किया गया|