जिनको लोग चुनते हैं वे विधानसभा व लोकसभा में बैठते हैं और जिनको भगवान चुनते हैं वे धर्मसभा में बैठकर कथा सुनते हैं : संतश्री गोपाल कृष्ण महाराज

आरिफ हुसैन, चंद्रशेखर आजाद नगर

केवल मनुष्य योनी में ही भगवान के संत्सग व भजन सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता हैं,जो सभी योनियों में सबसे श्रेष्ठ हैं|जिनको लोग चुनते हैं वे विधानसभा और लोकसभा में बैठते हैं लेकिन जिनको भगवान चुनते हैं वे धर्मसभा में बैठकर भगवान की कथा सुनते हैं |भगवान के दर्शन से जो फल प्राप्त होता हैं वही फल भगवान के भक्त के दर्शन करने से भी प्राप्त हो जाता हैं,लेकिन भक्त भी ईश्वर के प्रति अगाध हो|उक्त बात परम पूज्य राष्ट्रीय संत गोपाल कृष्ण महाराज ने शिवशक्ति महिला मंडल,चंद्रशेखर आजाद नगर के तत्वावधान में आयोजित “नानीबाई को मायरो”की कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से कथा श्रावकों से कहीं|

महाराजश्री ने तीसरे दिन की कथा कहते हुवे कहा कि हमें जीवन में नरसिंह जी से प्रेरणा लेना चाहिए| नरसिंह जी जूनागढ़ के सेठों के सेठ जाने जाते थे लेकिन जब अकाल पडा़ तो उनके पास सबकुछ खत्म हो गया तब भी उन्होंने धैर्य रखा और ईश्वर से कभी शिकायत नहीं की| दुःखद समय को भी खुशी से स्वीकार किया| इस प्रकार कैसी भी परिस्थिति आएं व्यक्ति को धीरज नहीं खोना चाहिए| अपने परेशानी का जिक्र किसी से नहीं करते हुवे सिर्फ अपने ईष्ट से करना चाहिए| क्योंकि वहीं आपके मन पीडा़ वहीं सुनते सकते हैं|मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में अपना स्वभाव नहीं बदलना चाहिये जैसे पानी| हमें जीवन में हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए,चाहे दुःख हो या सुख|विपरित परिस्थिति में भी नरसिंहजी की दान धरम की प्रवृत्ति नहीं बदली उनके मन में ब्राम्हण भोजन भंडारा करने की इच्छा आई तब भगवान की कृपा से एक व्यक्ति को किसी ने उनके पास हुंडी लिखवाने भेज दिया |उस व्यक्ति को नरसिंहजी की स्थिति देखआश्चर्य हुआ लेकिन उस व्यक्ति ने हुंडी लिखवाई जिससे नरसिंह जी के भोजन भंडारे के लिये राशि की व्यवस्था हो गई|नरसिंहजी ने हुंडी द्वारकाधीश के नाम लिखवा दी |हुंडी लिखवाने वाला व्यक्ति द्वारका जब गया तो वहां ढुंढने पर भी इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला तब भगवान कृष्ण ने अपने भक्त नरसिंह जी की लाज रखी और  प्रकट हो गये| दूसरी घटना नरसिंह की नातिन नानीबाई (सुलोचना) के विवाह में उनकी परिस्थिति को देखकर उनके ब्याई रंगजी ने उनको विवाह में बुलाने में संकोच किया तब नरसिंह की बेटी की सास ने उपाय सुझाया की नरसिह जी से नातिन के मामेरे में इतना सामान बुलाओ की वे चाहकर भी नातिन की शादी में नहीं आ पाये| सभी ने बैठकर सूची बनाना शुरू की |जब नानीबाई को ब्रम्हाण ने सूची बताई तो बेटी सुलोचना (नानीबाई)ने कहा एक लाईन मेरी ओर से और लिख दो पिताजी मामेरे की व्यवस्था हो तो आना नहीं तो …!ब्रम्हाण कंकूपत्री लेकर नरसिंह जी के गांव पहुंचा| नरसिंहजी ने ब्राम्हण से कंकू पत्री लेकर पीपल के पेड़ नीचे रखकर भगवान कृष्ण से नानीबाई के मायेरे की बात भगवान कृष्ण से कहीं | ब्रम्हांड मुक बनकर यह देखता रहा| 

महाराजश्री ने प्रसंगवश कहा कि परिस्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति को कभी इतराना नहीं चाहिए कभी कोई वादा नहीं करना चाहिए| जब परिस्थिति खराब हो तो घबराना नहीं चाहिए|जब परेशानी हो तो भगवान का नाम लेते रहना चाहिए कभी तो भगवान अवश्य सुनेगा|भगवान को स्मरण करने के लिये जरूरी नहीं कोई मंत्र ही बोले जो बन सके वहीं नाम सुमिरन कर लें|

जीवन में एक गुरू होना जरूर हैं हम चाहे तो भगवान कृष्ण,राम भक्त हनुमान को या फिर जिसके सांनिध्य में बैठकर सांसारिकता को भूल ईश्वर में मन लग जाए ऐसे महापुरुष को भी गुरू बना सकते हैं| हमें बेटे और बेटियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए |प्रसंगवश कई उदाहरण दिये |इसके साथ तीसरे दिन की कथा में यजमान चंदन भटेवरा,पत्नि दुर्गा भटेवरा तथा राठौड़ दम्पति ने आरती प्रसादी के साथ कथा का समापन किया|

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