चन्द्रशेखर आज़ाद नगर में ऐतिहासिक भगवती दीक्षा लेकर मुमुक्षु परिधि बनी साध्वी प्रसिद्धश्रीजी म. सा., बन्धु बेलड़ी पूज्य गणी वर्य आनन्दचंद्र सागरजी ने दिया नया नाम

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चन्द्रशेखर आज़ाद नगर।  चन्द्रशेखर आज़ाद नगर की बेटी मुमुक्षु परिधि की पांच दिनी दीक्षा महोत्सव का समापन रविवार को चन्द्रशेखर आज़ाद नगर आज़ाद ग्राउंड पर महावीर गोयम वाटिका में सम्पन्न हुआ। मुमुक्षु परिधि ने जैन भगवती दीक्षा लेकर साधु जीवन को अपनाया। इस मौके पर उन्होंने सांसारिक वस्तुओं का त्यागकर साधु वेश धारण किया और वैराग्य के पथ के लिए गुरु ने उन्हें नया नाम दिया। इस घड़ी का साक्षी बनने के लिए पूना,बॉम्बे, इंदौर, रतलाम, दाहोद, सूरत, गोधरा, लिमडी , राणापुर, उदयगढ़, पारा, बोरी ,टांडा, बेटमा, बेरछा, अन्य नगरों के समाजजन एकत्रित हुए।
बन्धु बेलड़ी पूज्य गणी वर्य आनन्दचंद्र सागरजी म.सा. आदि ठाना, पूज्य साध्वी जी स्वर्णज्योतिश्रीजी म.सा. विरल ज्योति म. सा. प्रियल ज्योति म. सा. अर्चिता श्रीजी म.सा. आनंदिता श्रीजी महाराज के सान्निध्य में संपन्न दीक्षा महोत्सव में मुमुक्षु परिधि को प्रसिद्ध ज्योति श्रीजी म. सा.। नाम दिए जाने से पहले दीक्षार्थी के केशलोचन कर साध्वी वेश में बन्धु बेलड़ी पूज्य गणी वर्य महाराज के समक्ष पहुंचे। उन्होंने कहा अब ये दीक्षार्थी साध्वी रूप में जैन साधुत्व के साथ साध्वी जीवन यापन करके आत्मकल्याण और धर्म जागरण करेगी। सभी को प्रभु महावीर द्वारा बताई गई परंपरा अनुसार दीक्षा प्रदान की गई।

भौतिक सुविधाओं को त्यागा
चन्द्रशेखर आज़ाद नगर जैनश्रीसंघ के अध्यक्ष यशवंत जैन ने बताया कि दीक्षा लेने के बाद जैन साधु जीवन मे भौतिक सुविधाओं को त्याग कर तप साधना से मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होने का लक्ष्य रखते हैं। इसी क्रम में संघ की परंपरा अनुसार साध्वी दीक्षा के पश्चात फोटो, वीडियो आदि से दूर रहते हैं। शांतक्रान्ति जैन संघ के कोषाध्यक्ष योगेशजैन ने बताया कि पांच दिवसीय दीक्षा महोत्सव के माध्यम से श्रद्धालुओं द्वारा साध्वीजीवन मे प्रवेश करने जा रही दीक्षार्थी का सम्मान एवं आभार व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी गई।

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