अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा पर जयस के पदाधिकारियों ने किया माल्यार्पण, रविवार को मनाएंगे विश्व आदिवासी दिवस

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आरीफ हुसैन,चन्द्रशेखर आज़ादनगर

नगर में आज जयस के पदाधिकारियों द्वारा आज़ाद की जन्म स्थली पर चन्द्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण की गई। अलीराजपुर के रितेश अलावा ने बताया कि अभी वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते आप सभी देख रहे हैं कि देश भर में जितने भी बड़ा आयोजन है धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक जितने भी सरकारी कार्यक्रम सारे स्थगित कीए गए और सरकार के नियमों का पालन करते हुए हम लोगों ने भी कहीं ना कहीं उसे लेकर आगे बढ़ाया है। और हम लोगों ने जिला स्तरीय कार्यकारिणी ने डिसाइड किया है सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि हम लोग तीन दिवसीय कार्यक्रम करेंगे। पहला जिसमें हम लोगों ने 7 अगस्त शुक्रवार के दिन हम लोगों ने लगभग जिले भर में अलीराजपुर जिले में पहली बार 9 अगस्त आदिवासी दिवस को एक एतिहासिक कार्यक्रम करने का प्रयास किया है

पौधा रोपण कर आज क्रांतिकारीयो की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण उनके क्या रहे सिद्धांत जानने की कोशिश की उसी तरह से हम देश मे नई क्रांति को आगे बढ़ा पाएंगे

जिसमें कम से कम 40 हजार पौधे बांटकर हमने एक साथ अपने गांव के बाबदेव जहां पर भी मंदिर मस्जिद है या फिर जो भी जगह मिली खेत में मेड पर वहां पर पेड़ पौधे लगाकर हम लोगों ने एक नया इतिहास बनाया है।आज उसके दूसरे चरण में हम लोगों ने डिसाइड किया था कि हम लोग जो भी देश के महान क्रांतिकारी रहे हैं। बाबदेव है भगवान मंदिर है या जो भी हमारे ईस्टदेव है वहां पर जाकर माल्यार्पण करेंगे उनके बारे में स्थानीय संवाद करेंगे और इसी के चलते आज हम लोग जिला स्तर के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ में भाबरा के स्थानीय मेरे सभी साथी लोग मौजूद है आज शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म भूमि पर आने का अवसर प्राप्त हुआ और यहां पर आकर हम लोगों बहुत अच्छा महसूस किया माल्यार्पण किया गया और इस बारे में जानने की कोशिश की किस तरह से उनके क्या सिद्धांत रहे हैं इसको लेकर हम आगे बढ़ सकते है। और देश को चला सकते हैं और देश में किस तरह से हम नई क्रांति को आगे बढ़ा पाएंगे।

कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन के नियमो का किया जाएगा पालन

तो 9 अगस्त कल आ रहा है कल रविवार है। पूरे देश में ओर अलीराजपुर जिले में भी कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए हम लोग भी सिर्फ और सिर्फ अपने अपने घरो में रहकर पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक पकवान के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रत्येक ग्राम में अपने अपने स्तर पर कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए। कार्यक्रम का आयोजन करेंगे जिसमें शासन-प्रशासन को कोई दिक्कत नहीं होगी और हम लोग गांव गांव तक इस मैसेज को पहुंचाने में संदेश दे पाएंगे कि हम इस देश के हिंदी जीनियस पीपल है इस देश के मूल निवासी आदिवासी इस देश का मूल निवासी है और इन्हें संरक्षित करने के लिए आपको सरकार को और देश के सभी लोगों को सभी समाज के लोगों को एक साथ आना पड़ेगा तभी पर्यावरण देश और विश्व संरक्षित होगा।

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