जल, जंगल और जमीन के हक-अधिकार को लेकर कांग्रेस ने रैली निकाली, कलेक्टर के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा

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आलीराजपुर । ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कट्ठीवाड़ा के तत्वावधान मे ग्राम इंदलावाट के गरीब आदिवासियो को उनकी जमीनो से बेदखल कर भूमि और महुआ के पेड़ अधिग्रहण करने के विरोध मे मंगलवार को जिला कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष महेश पटेल एवं विधायक मुकेश पटेल के नेतृत्व मे रैली निकालकर कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन  तहसीलदार सरिता राठी को सौपा । इस अवसर पर सेकड़ो की संख्या मे ग्रामीणजन उपस्थित थे।

नारेबाजी कर हाथो मे तख्तियां लेकर निकले

इसके पूर्व कांग्रेसी नेताओ ने ग्राम इंदलवाट मे रैली निकाली, रैली मे ग्रामीण महिला-पुरुषो के हाथो मे उनके हक़-अधिकार की तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुवे चल रहे थे ।रैली पर्यटन विभाग द्वारा की गईं अधिग्रहण भूमि स्थल पर पहुंची, जहाँ पर कांग्रेसी नेताओं-कार्यकर्ता और ग्रामीणजनो ने धरना प्रदर्शन किया। अधिग्रहण भूमि स्थल पर एक सभा का आयोजन किया गया । सभा को संबोधित करते हुवे पूर्व कांग्रेस  जिलाध्यक्ष महेश पटेल ने प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथो लेते हुवे कहा की आज आदिवासी अंचलो मे उनकी जमीन हड़पकर उनको बेदखल किया जा रहा है, उनसे उनकी आजीविका के साधन छीने जा रहे है,  सरकार ने पैसा एक्ट लागु किया, लेकिन उसको अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

पेसा एक्ट के अधिकार से आज भी ग्रामीणजन वंचित है । एक तरफ शासन-प्रशासन अलीराजपुर जिले के विशिष्ट फल के रूप में महुआ को विशिष्ट फल घोषित करता हैं तो दुसरी तरफ सैकडो हरे भरे महुआ के पेड़ो छीनकर नष्ट भ्रष्ट करने हेतू स्वमेव निरस्त आदेश के आधार पर उनको लूटा जा रहा है । पटेल ने बताया की यह सब भाजपा सरकार की शह पर किया जा रहा है,भाजपा सरकार आदिवासियों के नाम पर झूठी वाहवाही लूटने मे लगी हुई है,  लेकिन कांग्रेस पार्टी आदिवासी,दलित और गरीबो के साथ ख़डी है, उनके हक़ और अधिकार की लड़ाई सड़को पर उतरकर लड़ेंगी। विधायक मुकेश पटेल ने कहा कि पुरे प्रदेश मे भाजपा के संरक्षण मे आदिवासियों पर आए दिन अपराध और अत्याचार के मामले तेजी से बढ़ रहे है, उनको उनकी जमीन और आजीविका से बाहर किया जा है। भाजपा सरकार इस पर अंकुश लगाने मे पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। 

जिला कांग्रेस अध्यक्ष ओमप्रकाश राठौर एवं ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पारसिंह बारिया ने कहा की कांग्रेस पार्टी गरीब आदिवासियों की हितेषी पार्टी है,उनसे उनका हक़ कभी नहीं छिना है, बल्कि उनके अधिकार को आगे चलकर दिया है। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गोहायड़ा भाई, कमरू अजनार, भरत जाधव, जिला उपाध्यक्ष लईक भाई ,जिला मिडिया प्रभारी रफीक कुरैशी, ब्लॉक कार्यवाहक अध्यक्ष एवं सरपंच नारिया किराड़, जिला सचिव सोनू वर्मा, सरपंच वरसिंह बारिया, इंडलावाट पूर्व सरपंच दलसिंह, नारु भाई, अमजद भाई, कांजी भाई, गोविन्द नहारसिंह, शान नकवी, रमेश तेरसिंह, इरशाद भाई, प्रकाश शंकर सहित बड़ी संख्या मे कांग्रेसी नेता-कार्यकर्ता और ग्रामीणजन उपस्थित थे । 

क्या है ज्ञापन में

सौंपे गए ज्ञापन में इंदलावट के ग्रामीणों ने बताया कि हमारी पीढ़ीयो से चली आ रही आजीविका को कुछ अज्ञात लोग हड़पने की साज़िश रच रहे हैं। लगभग दो माह पूर्व कोई व्यक्ति हमारे गांव द्वारा रोपित भूमी सर्वे नंबर 87 रकबा 4.680 हेक्टेयर भूमि पर बाउंड्रीवाल करने आए और वह इसके भूमि के मालिक बन गए हैं। इस भूमी पर लगभग 1000 महूए के पेड़ हैं, जिसे हमारे पूर्वजो ने रोपा हुआ हैं और यह हमारी आजीविका का महत्वपूर्ण प्रकल्प हैं,  इस भूमी पर सैकडो वर्षो से हम मूल निवासी मिलजुलकर आजीविका प्राप्ति हेतु वृक्षारोपण करते आ रहे हैं। सन 2015 का तथाकथित आदेश जिसका भी प्रभाव और अस्तित्व मात्र सन 2016 तक का था के आधार पर हमारी पीढ़ीयो से संरक्षित क्षेत्र की आजीविका को लूटने का प्रयास सरासर अवैधानिक और आपराधिक कृत्य हैं।

यह आदेश जिले के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा 26 फरवरी 2015 को प्रकरण क्रमांक 46/ अ.19 (3)/2014-2015 के अंतर्गत कट्ठीवाड़ा के तत्कालीन तहसीलदार और अलीराजपुर एसडीएम की कथित अनुशंसा पर सशर्त पारित किया गया था कि ग्राम इंदलवाट विखं कट्ठीवाड़ा जिला अलीराजपुर की शासकीय भूमी सर्वे नंबर 87 रकबा 4.680 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग मप्र को आवंटन किया जाना हैं, परंतु इस आदेश में यह था कि इस भूमि को आवंटित करने हेतू स्थानीय स्तर पर विज्ञप्ति प्रकाशित की गई परंतु तय सीमा अवधि में कोई आपत्ती नहीं आई सरासर गलत हैं,  क्योंकि स्थानीय स्तर पर आम जनता को पता ही नहीं था की उनकी पीढ़ियों से संरक्षित आजीविका भूमि को कोई छीन रहा हैं। पंचायत के सरपंच द्वारा उस समय जो भी अंदरूनी फर्जीवाड़ा किया होगा उसके अभिमत को ग्रामवासीयो की सहमती कतई नहीं मानी जा सकती थी। खैर वह आदेश जारी होने के बाद 25 फरवरी 2016 तक ही निर्धारित शर्तों के प्रकाश में प्रभावशाली था की भूमि आवंटन आदेश के एक वर्ष के भीतर जिस प्रयोजन के लिए भूमि की मांग की गई हैं, उस प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना अनिवार्य है, यदि समयावधि में भूमि का उपयोग नहीं किया गया तो भूमि का आवंटन आदेश स्वमेव निरस्त माना जावेगा।आदेश जारी होने के दिनांक से एक माह के अंदर संबंधित तहसीलदार से भूमि का सीमांकन करवाया जाकर बाउंड्रीवाल बनाकर कब्ज़ा रसीद प्राप्त करें। यानि कि जो आदेश करीब साढ़े सात वर्ष पहले ही निरस्त हो चुका हैं, उसके आधार पर हम  गरीब आदिवासीयो के पेट पर लात मारकर हमारी आजीविका की महत्त्वपूर्ण भूमि को लूटकर इंदौर, भोपाल के उद्योगपतियों को दिए जानें की साज़िश की जा रही हैं। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं और इस लूट को रोकने की मांग करते हैं। जिला प्रशासन को भी पारदर्शी तरीके से हम ग्रामवासियों के पक्ष में निर्णय करना चाहिए।

हम मानते हैं कि कथित पर्यटन के नाम पर नियम विरुद्ध प्रक्रिया द्वारा इस संरक्षित प्रकृति क्षेत्र को भ्रष्टाचार का चारागाह बनाने का दुष्चक्र चलाया जा रहा हैं। यहां के ग्रामवासी पीढ़ी दर पीढ़ी क्षेत्र की इस हरियाली को अद्यतन बनाए रखने का प्रयास करते रहें हैं। दुर्भाग्यपूर्ण मामला यह है कि एक तरफ प्रशासन अलीराजपुर जिले के विशिष्ट फल के रूप में महुआ को विशिष्ट फल घोषित करता हैं और दुसरी तरफ सैकडो हरे भरे महुआ पेड़ो को हमसे छीनकर नष्ट भ्रष्ट करने हेतू स्वमेव निरस्त आदेश के आधार पर लूटा जा रहा हैं। कलेक्टर महोदय से निवेदन हैं की आप परिपक्व स्तर पर पारदर्शिता के साथ इस स्थिति को सद्भावना तथा संवेदनशीलता के साथ देखे । अन्यथा हम मूल निवासी ग्रामवासियों की इस वन संपदा के साथ अवैधानिक तौर पर हो रही इस लूट के खिलाफ़ प्रदेश स्तर पर आंदोलन करेगें और न्यायालय की शरण भी लेंगे, जिसकी जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी।

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