इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास पूजा पाठ के लिए समय का अभाव हो गया है

May

भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल में अपनी शासकीय सेवा से निवृत्ति के उपलक्ष में पिटोल के प्रदीप कुंडल द्वारा भागवत कथा  आयोजन 12 मई से 18 मई किया गया। सात दिवसीय भागवत  कथा में मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात के समस्त लबाना समाज के साथ अन्य समाज के लोगों ने भी कथा श्रवण कर भागवत कथा का लाभ लिया। कथा वृंदावन धाम से पधारे प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक आचार्य श्री विष्णु जी महाराज श्री धाम वृंदावन वालों के श्री मुख से हुई।

भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में उन्होंने भागवत कथा को संपूर्ण रूप से सहज और सरल तरीके से जीवन में  उतारकर जीवन धन्य करने के मार्ग बताए उन्होंने कहा कि   आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास पूजा पाठ के लिए समय का अभाव हो गया है, जो कि सही नहीं है। मानव जीवन में भागवत कथा का बड़ा ही महत्व है। कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा मन का शुद्धिकरण होता है। प्रत्येक मनुष्य को भागवत की संपूर्ण कथा का श्रवण करना चाहिए।श्रीमद्भागवत पुराण’ में बार-बार श्रीकृष्ण के ईश्वरीय और अलौकिक रूप का ही वर्णन किया गया है। पुराणों के लक्षणों में प्राय: पाँच विषयों का उल्लेख किया गया है, किन्तु इसमें दस विषयों-सर्ग-विसर्ग, स्थान, पोषण, ऊति, मन्वन्तर, ईशानुकथा, निरोध, मुक्ति और आश्रय का वर्णन प्राप्त होता है  यहाँ श्रीकृष्ण के गुणों का बखान करते हुए कहा गया है।

भागवत से भक्ति एवं भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है तथा जन्म जन्मांतर के सारे विकार नष्ट होते हैं। शुद्धिकरण होता है। प्रतिदिन हमें अपनी व्यस्त दिनचर्या से प्रभु भक्ति के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए। भागवत कथा सुनने से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते है  उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है। इसकी कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी हैं और आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति किसी तीसरे व्यक्ति को कथा सुनने के लिए प्रेरित करता है तो पहले व्यक्ति को इस बात का भी पूरा फल मिलता है। उन्होंने कहा कि गुरु वशिष्ट व महर्षि विश्वामित्र के प्रसंग के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि कथा सुनने का फल सभी पुण्यों, तपस्या व सभी तीर्थों की यात्रा के फल से भी कहीं बढ़कर है। भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं। इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है। इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है। श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। श्रीहरि के कृपापात्रों को संसार में कोई भयभीत नहीं कर सकता। इसलिए हर किसी को कथा का आयोजन कराना चाहिए। कथा में कुंडल परिवार के सदस्यों, मित्रों, रिश्तेदारों अलावा नगर के बहुत से प्रभुप्रेमियों ने कथा का श्रवण किया। श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती के साथ ही सातवे दिन की कथा का समापन हुआ। कथा के बाद भक्तों के लिए महाप्रशादी  भंडारे भी व्यवस्था की गई।