प्रतिबंध के बावजूद भी ग्रामीण इलाकों की शादी समारोह में शामिल हो रहे सैकड़ों

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 सिराज बंगड़ वाला@ खरडू बड़ी

झाबुआ जिला में अब शादी समारोह का सीजन चल रहा है और कोरोना से लोग संक्रमित हो रहा है पंरतु शासन चाहे कितना भी प्रतिबंध लगा देती हैं पंरतु आदिवासी समाज की शादी में प्रशासन द्वारा गाइडलाइन भी कर दिया गया है कि दस से पंद्रह लोगों ही शादी में शामिल हो और डीजे पर प्रतिबंध लगा हुआ है फिर भी आदिवासी की शादी समारोह में करीब सौ से ज्यादा लोग एकत्रित हो रहे है और डीजे भी शामिल हो रहा है जिसको प्रशासन नजर अंदाज कर रहे है। अगर प्रशासन शक्ति का प्रयोग करते हैं तो आदिवासी समाज की शादी समारोह में ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो जिससे कोरोना संक्रमित लोग भी नहीं हो कोरोना संक्रमित लोगों भी जिसके शिकार नहीं बने अभी आप अगर हर ग्राम पंचायत के कोटवार या सचिव और सरपंच से हर ग्राम पंचायत की सच्चाई देखी जाय तो हर गांव में लोग सदीं जुखाम से पीडित हो रहा है जिसकी सुध नहीं ले रहा है।

अगर हर गाँव के कोटवार या तडवी से दहेज दापा की जानकारी सरकार द्वारा लिया जाता है तो सच्चाई सामने आ सकती है  क्योंकि हर गांव में दहेज दापा शासन के सामने सिर्फ 55 हजार लेना बताया जा रहा है पंरतु हकीकत यह है कि करीब तीन से पांच लाख तक का दहेज दापा लिया जाता है जिसकों सभी आदिवासी समाज जानती है पंरतु कोई प्रशासन के सामने कोई उजागर कर ने को तैयार नहीं है।
डीजे वाले भी करीब 25 हजार से चालीस हजार रुपये लेते हैं सिफ तीन दिन के फिर भी आदिवासी समाज के लोगों शादी में नाचने के लिए वह भी देने को तैयार हो जाता है अगर यह फजूल खर्च बंद हो जाता है तो हर गांव की बेटी की शादी के बाद पलायन पर न जाते हूए अपने ससुराल में खुशी से रहने लगे पंरतु यह नहीं होता है।

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