झाबुआ / अलीराजपुर लाइव डेस्क ।
आज कल भाग के शादी करने वाला ट्रेंड तो काफी कम हो गया है, सिर्फ गाँवो में ही अभी ऐसे किस्से सुनने मिलते है क्योंकि लोगों ने भी अब प्रेम को स्वीकार कर लिया है. लेकिन जब तक पश्चिम संस्कृति न फैली थी तो ये बात बहुत आम नही थी, ऐसे में महाभारत काल में ही सिर्फ ऐसे प्रेम कांड हुए थे.
भगवान कृष्ण और अर्जुन का तो लगभग सब जानते है की उन्होंने भाग के प्रेम विवाह किया था लेकिन उनके पुत्र भी उनके नक़्शे कदम पे चले ये बहुत कम लोग जानते है. रुक्मणी का भाई रुक्मी अपनी बहिन की शादी शिशुपाल से करवाना चाहता था लेकिन कृष्ण रुक्मणी को भगा ले गए और उनसे प्रेम विवाह रचाया था.
वंही अर्जुन भी कृष्ण की बहिन सुभद्रा से प्रेम करते थे लेकिन कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ सुभद्रा की शादी दुर्योधन से करवाना चाहते थे. लेकिन कृष्ण ने दोनों का प्रेम पहचाना और उनकी ही मदद से अर्जुन सुभद्रा को ले भागा और दोनों ने प्रेम विवाह किया, आज बताते है उन दोनों के पुत्रो की प्रेम कथाये.
कृष्ण और उनकी पत्नी जामवंती का पुत्र साम्ब दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से प्रेम करता था, दुर्योधन ने उसका विवाह करने के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। उस स्वयंवर में बहुत से वीर पराक्रमी राज कुमार उपस्थित हुए साम्ब भी पहुंचे, लक्ष्मणा साम्ब के प्रेम में थी जो की श्री कृष्ण और रानी जाम्बवती के पुत्र थे और उन्होंने उन्हें ही वरा।
दुर्योधन ने दोनों की शादी से इंकार कर दिया क्योंकि कृष्ण की पांडवो से निकटता उसे नहीं सुहाती थी. मौका देख के साम्ब और लक्ष्मणा भाग गए। साम्ब जब लक्ष्मणा का हरण करके जाने लगा तो कौरवों ने उसका पीछा किया और उसे पकड़कर बंदी बना लिया।
जब कृष्ण को ये बात पता चली तो कृष्ण युद्ध पे आमादा हो गए पर बलराम ने ये कह कर बात सम्हाली की सम्बन्ध बनाना है तो युद्ध से नहीं बात चित से हल करेंगे. हस्तिनापुर पहुंचकर दाऊ ने कौरवों से साम्ब व लक्ष्मणा को उनके साथ सम्मान से द्वारका भेजने को कहा उसपर दुर्योधन ने शेषनाग के अवतार का खूब अपमान किया।
बलराम क्रोध से आग बबूला हो गए और उन्होंने अपने हल से हस्तिनापुर को धरती से उखाड़ दिया और उसे गंगा नदी में डुबोने के लिए गंगा नदी की और घसीटने लगे। कौरवों ने जब यह देखा की बलराम अपने पराक्रम से समस्त हस्तिनापुर को गंगा में डुबो देंगे तो उन्होंने बलराम से माफ़ी मांगी और साम्ब व लक्ष्मणा को पति-पत्नी के रूप में उनके साथ विदा किया। इस तरह दुर्योधन और श्री कृष्ण समधी बने।
अर्जुन पुत्र के प्रेम की कहानी: एक बार अभिमन्यु और भीम भी अनजाने में हो गए थे खून के प्यासे और दोनों में हुए युद्ध में अभिमन्यु ने मारी बाजी पर ऐन मौके पर सुभद्रा ने आ कराइ असली पहचान. तब अभिमन्यु ने कहि मन की पीड़ा अपने भाई घटोत्कच से.
उसका विवाह बलराम की पुत्री से तय हुआ था पर वनवास के चलते हो न स्का, अब बलराम जी अपनी पुत्री का विवाह दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण से करने जा रहे थे. ऐसे में घटोत्कच ने अपनी माया से बलराम के घर शादी के मंडप से किया था शिरीश्रुवा को अगवा, तब अभिमन्यु और बलराम की पुत्री का हुआ विवाह और उनसे जन्मा पुत्र उत्तम.।