रितेश गुप्ता, थांदला
हनुमान मन्दिर बावडी पर महंत गोपालदास की प्ररेणा से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामचन्द्र प्रजापत की स्मृति में आयोजित संत रघुवीरदास महाराज के मुखारबिंद से चली रही विशाल श्रीमद भगवत सप्ताह की पूर्णाहूति चतुष विवाह के साथ सम्पन्न हुई इस अवसर पर सम्पूर्ण कथा पाडांल अदभुत विवाह का साक्षी बना अंचल में पहली बार किसी धार्मिक आयोजिन के निमित रूकमणी -व्दारकाधीश, तुलसी -सालीग्राम, गौ -नंदी, तथा शिव -पार्वती विवाह सम्पन्न हूआ इस अवसर पर सम्पूर्ण कथा स्थल इस अदभुद चतुष विवाह संयोग का साक्षी बना ।
देर सायं तक कथा स्थल श्रृद्धालुओं से खचाखच भरा रहा । कथा समापन की वैला में यजमान परिवार के समरथ गुरू प्रजापत ने भगवत मर्मज्ञ कथा वाचक संत रघुवीरदास महाराज , महंत गोपालदास महाराज, नारायणदास महाराज नागदा, परसुराम जी महाराज हरिद्धार ,साध्वी श्रेद्धेय परमेश्वरी देवी राजपीपला धनेश्वर आश्रम गुजरात, संत बंशीदास महाराज सौराष्ट्र गुजरात, संत हरिराम जी महाराज धनेश्वर आश्रम उपस्थित बडी संख्या में साधू संतों को शाल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।इस अवसर पर मन्दिर न्यास मण्डल की और से न्यास अध्यक्ष अशोक अरोरा, न्यासी तुलसीराम मेहते, गणराज आचार्य, महेश नागर, विश्वास सोनी, दिलीप पंचाल, व्दारा संतश्री का न्यास मण्डल की और से शाल श्रीफल भेंट कर स्वागत किया । विभिन्न समाजजन सुरेश शुक्ला, मुकेश पंचाल, राजु धानक, सावरिया सौलंकी , मांगीलाल राठौड, कचरूमल राठौड, कालुराम पंचाल, रतीलाल पंचाल, महेश गढवाल, वरदीचंद प्रजापत , शम्भु प्रजापत, अलिहुसैन बोहरा प्लेनवाला सहीत बडी संख्या में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
संत श्री पहॅूंचे ग्राम दौलतपुरा
पूर्णाहूति दिवस के पूर्व संत रघुवीरदासजी महाराज ग्राम दौलतपुरा हनुमान मन्दिर विभिन्न साधु संतो ंके साथ पहॅॅुंचे तथा धर्म सभा को सम्बोधित किया । बडी संख्या में ग्रामवासीगण उपस्थित थे। संत श्री ने ग्रामवासीयों से सदैव धर्म की ध्वजा का उॅंची रखने अपने घर ग्राम देवताओं का समरण करने धरती गंगा गौमाता की सेवा करने का आव्हान किया । संत श्री ने कहॉ यह नदियॉं ,पेड पीपल, बड, तुलसी , यह पहाड जीव जंन्तुओं की पुजने की परम्परा हमारी सनातन हिन्दू परम्परा है हम सब हिन्दू है हिन्दू ही ऐसी संस्कृति है जिसमें सगोंत्र में विवाह सबंध नही होता है आदिवासीयों में भी विवाह सगोत्र को भाई माना जाता है और विवाह सबंध नही होता है हम सब प्रकृति के पूजक है हमारे पूर्वज आदि काल से प्रकृति की पूजा करते चले आ रहे है जो की सनातन हिन्दू धर्म का आधार है प्रकृति में ही देवता का वास है । आने वाले समय में बहौत लौग आएगें उल्टा सीधा बतायेंगें हम हिन्दू नही है सिखॉएगें लेकिन एक बात ध्यान रखना अगर हमारे गॉंव में धर्म ध्वजा लहराती रही तो ऐसे लोग गॉंव में पैर भी नही रख पॉंएगें हमारा तुम्हारा संबंध क्या धर्म का , इस धर्मध्वजा के नीचें बैठने ही हम आज इतनें लोग आपके गॉंव में आए है इसलिये हमारा सबंध प्रेम का है और आपसे कूछ नही चाहिए सिवाय धर्म के हम धर्म हमेशा गॉंव में बनाये रखना इस मन्दिर पर नियमित सेवा पूजा करना अपने बच्चो को सेवा के संस्कार देना । इस अवसर पर गॉंव में सामाजिक समरसता भोजन का आयोजन किया गया कार्यक्रम में संघ के विभाग प्रचाकर जुवानसिंग भॅंवर,भूषण भटट, बदसिंग कतिजा, कालु चरपोटा एंव ग्रामवासीगण आशीष पटेल, अर्जुन डामौर , विकास मुणिया, रूसमाल चरपोटा, पकंज जागीरदार,आनंद राठौड, बहादूर गरवाल , सरपंच रमेश मुणिया, कमलेश डामौर, देवला बारिया ,वालचंद ,पार्षद रोहित बैरागी, लालाभाई , धवल अरोरा सहीत बडी संख्या में ग्रामवासीगण उपस्थित थे ।
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